उत्तर प्रदेश

यूपीः गेहूं उत्पादक किसानों की चमकेगी किस्मत, इस तैयारी में सरकार

policy for wheat farmers

झांसीः बुन्देलखण्ड के कठिया गेहूं को जीआई टैग मिलने के बाद अब इसके उत्पादन और विपणन को बढ़ावा देने की तैयारी चल रही है। यह बुन्देलखण्ड क्षेत्र के किसानों की आय बढ़ाने में काफी मददगार साबित हो सकता है। यह जीआई टैग नाबार्ड की मदद से झाँसी के एक एफपीओ के आवेदन पर दिया गया है। यह मान्यता मिलने के बाद कठिया गेहूं के उत्पादन से जुड़े किसान काफी उत्साहित हैं।

भविष्य में बढ़ेगी मांग

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान के सहायक प्रोफेसर डॉ. संतोष पांडे ने कहा कि कठिया गेहूं एक देशी किस्म है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में गेहूँ कम पानी में उगता है। इससे विशेष रूप से दलिया, लड्डू आदि बनाये जाते हैं। इसका उत्पादन बुन्देलखण्ड के कुछ क्षेत्रों में होता है। जीआई टैग मिलने का मतलब है कि इसकी गुणवत्ता बेहतर है। यदि इसे बढ़ावा मिले तो किसान कम लागत में अधिक पैसा कमा सकते हैं। यदि इसका निर्यात किया जाए और इसके गुणों के बारे में जागरूकता पैदा की जाए तो इसकी मांग बढ़ेगी। वर्तमान समय में भी इसकी काफी डिमांड है।

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बेहतर बाजार मिलना आसान

नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक भूपेश पाल ने बताया कि किसानों को बेहतर लाभ देने के लिए जिला प्रशासन, कृषि विभाग, उद्यान विभाग, एफपीओ, केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्र, ग्रामीण विकास विभाग, उद्योग विभाग एवं अन्य संबंधित विभागों की एक समिति बनायी गयी है। यह समिति कठिया गेहूं उगाने वाले किसानों को जीआई टैग का उपयोग करने के लिए प्रेरित करेगी। इस कार्य के लिए उत्तर प्रदेश सरकार का कृषि विपणन विभाग नोडल भूमिका निभाएगा। अब कठिया गेहूं उत्पादक किसानों को बेहतर बाजार मिलना काफी आसान हो जाएगा।

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