रांची: छत्तीसगढ़ की तर्ज पर अब झारखंड में भी सरकार किसानों और पशुपालकों से गोबर खरीदेगी। इसके एवज में किसानों को दो रुपए प्रति किलो की दर से भुगतान किया जाएगा। खरीदे गए गोबर का उपयोग वर्मी कम्पोस्ट बनाने में किया जाएगा। यह वर्मी कम्पोस्ट किसानों को आठ रुपए प्रति किलो की दर से वापस उपलब्ध कराया जाएगा।
सरकार ने इस योजना का नाम गोधन न्याय योजना रखा है और इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर राज्य के पांच जिलों में शुरू किया गया है। इस योजना की घोषणा वर्ष 2022-23 के बजट में की गई थी, लेकिन अब इसे लागू किया जा रहा है। कृषि मंत्री बादल का कहना है कि गाय के गोबर के उपयोग से हम जैविक खेती के क्षेत्र में झारखंड की अलग पहचान बना सकते हैं। आज हम रासायनिक खादों पर निर्भर हैं, जो हमारे स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव छोड़ती हैं। इस परियोजना की सफलता की समीक्षा के बाद हम इसे पूरे प्रदेश में चलाने की योजना बनाएंगे। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर प्रदेश के पांचों मंडलों से एक-एक जिले का चयन किया गया है।
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10 करोड़ का बजट प्रावधान –
गोधन न्याय योजना के लिए 10 करोड़ का बजट प्रावधान किया गया है, सफल होने पर 100 करोड़ की योजना भी बनेगी। इससे शुरूआत में प्रदेश के दस हजार किसानों को लाभ होगा। इस योजना का उद्देश्य रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करना और किसानों की आय में वृद्धि करना है। वर्ष 2019 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार राज्य में 12.57 करोड़ मवेशी हैं। एक अनुमान के अनुसार मवेशियों से प्रतिवर्ष 504 लाख टन गोबर का उत्सर्जन होता है। कृषि मंत्री ने कहा कि गोवंश न्याय योजना के अलावा प्रदेश में पहली बार गोमुक्तिधाम का निर्माण भी शुरू किया गया है।
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