शिमला: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (CM Sukhwinder Singh Sukhu) ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश जुलाई और अगस्त में मानसूनी आपदा से प्रभावित रहा है। अब तक 10 हजार करोड़ से ज्यादा के नुकसान का अनुमान लगाया गया है। उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार द्वारा गठित राज्य आपदा कोष में लोग और स्वयंसेवी संस्थाएं दिल खोलकर दान दे रहे हैं और अब तक इस कोष में 100 करोड़ रुपये एकत्र हो चुके हैं।
रविवार को शिमला में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में सुक्खू (CM Sukhwinder Singh Sukhu) ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने आपदा से हुए नुकसान की भरपाई के लिए 10 अगस्त तक 6700 करोड़ रुपये के दावे केंद्र सरकार को भेज दिए हैं। यह राशि केंद्र को शीघ्र जारी की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि ये दावे जुलाई महीने में आई आपदा से हुई तबाही से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की राहत नियमावली के अनुसार प्रभावितों को दी जाने वाली राशि बहुत कम है और इसे बढ़ाया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री CM Sukhwinder Singh Sukhu ने कहा कि केंद्र की राहत नियमावली के तहत घर की आंशिक क्षति के लिए 5,000 रुपये और घर के पूर्ण विध्वंस के लिए 1.30 लाख रुपये दिये जाते हैं। अगर सड़क बहती है तो एक किलोमीटर के लिए 1.25 लाख रुपये मिलते हैं।
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पहाड़ी राज्यों के लिए हो अलग राहत मैनुअल
मुख्यमंत्री ने कहा कि बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से अनुरोध किया गया है कि केंद्र की यह राहत राशि कम है और पहाड़ी राज्यों के लिए अलग राहत मैनुअल होना चाहिए। सुक्खू ने कहा कि हिमाचल पहुंचे जेपी नड्डा से हिमाचल की आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने और इसके बदले विशेष पैकेज देने का आग्रह किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जेपी नड्डा ने हिमाचल प्रदेश के लिए विशेष पैकेज का मुद्दा प्रधानमंत्री के समक्ष उठाने का आश्वासन दिया है। मुख्यमंत्री ने एक बार फिर राज्य के बीजेपी सांसदों पर निशाना साधा और कहा कि बीजेपी सांसद आपदा का मुद्दा केंद्र के सामने उठाने में विफल रहे। सांसदों ने न तो हिमाचल आपदा का मुद्दा संसद में उठाया और न ही इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से मुलाकात की।
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