ज्ञान अमृत

पद्मपुराण के सृष्टिखण्ड में गौओं की महिमा

Glory of cows in Srishti

सनातन धर्म में गाय की विशेष महिमा बताई गई है। गोशाला सम्पूर्ण देवताओं का निवास स्थान है। पद्मपुराण के सृष्टिखण्ड में गायों की महिमा (glory of cows) ललाट में महादेव जी, रोमकूपों में ऋषि, मुख और पृष्ठभूमि में यमराज, दक्षिण पार्श्व में वरुण और कुबेर, वाम पार्श्व में तेजस्वी और महाबली यक्ष, गोमूत्र में पार्वती, उन सबका कपिला गौ के दान से क्षय हो जाता है और दान करने वाला बैकुंठ में निवास करता है।

 यदि पिता के जीते-जी माता की मृत्यु हो जाए, तो उसकी स्वर्ग-प्राप्ति के लिए चन्दन-चर्चित गौ का दान करना चाहिए। ऐसा करने से दाता पितरों के ऋण से मुक्त होकर अक्षय स्वर्ग को प्राप्त करता है। सब प्रकार से शुभ लक्षणों से युक्त, प्रतिवर्ष बच्चा देने वाली नई दूधार गाय पृथ्वी के समान मानी गई है। उसके दान से मनुष्य इन्द्र के तुल्य होता है। उसके दान से भूमि दान के समान फल होता है।

 लोकेन्द्र चतुर्वेदी