लखनऊः राजधानी लखनऊ में अन्तर्राज्यीय ठग गैंग, क्राइम ब्रांच का पुलिसकर्मी बनकर महिलाओं और बुजुर्गों से ठगी कर रहा था। चौक पुलिस व सर्विलांस सेल की संयुक्त टीम ने गिरोह से जुड़े पांच लोगों को कुड़ियाघाट के पास से गिरफ्तार किया है। यह लोग पुलिस का आईडी कार्ड दिखाकर लोगों को अर्दब में लेते थे फिर लूट का डर दिखाकर जेवर उतरवा ठगी को अंजाम देते थे।
एडीसीपी चिरंजीव नाथ सिन्हा ने बताया कि चौक इंस्पेक्टर प्रशांत कुमार मिश्र और प्रभारी निरीक्षक सर्विलॉस सेल राजदेव प्रजापति की टीम ने गुरुवार को एमपी का टप्पेबाजी गिरोह के जिन लोगों को पकड़ा वह लोग पुलिस कर्मी बनकर लोगों के जेवर लेकर भाग जाते थे।
पकड़े गए टप्पेबाज मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र व यूपी के निवासी
पुलिस टीम ने मध्यप्रदेश बुरहानपुर के चिंचाला लालबाग के साहेल जाफरी उर्फ बाबडू उर्फ बादशाह (28) व मोहसिन खान उर्फ बाकड़ (37), महाराष्ट्र, ठाणे निवासी अमजद अली उर्फ लंगड़ा (44) मध्यप्रदेश शहडोल निवासी सलमान अली (29) और माल लोधौरा लखनऊ के अजय राज (28) को गिरफ्तार किया।
टप्पेबाजी के बाद दस दिन से ज्यादा नहीं रूकते थे एक राज्य में
यह लोग शहर में दस दिन रूकर टप्पेबाजी कर दूसरे राज्यों में चले जाते थे। फिर मामला शांत होने पर शहर में आकर घटनाओं को अंजाम देते। इनके पास से करीब 11 मुकदमों से सम्बधित छह लाख के जेवर, बाइक और पुलिस का फर्जी आई कार्ड बरामद हुआ है।
टीम बनाकर देते थे टप्पेबाजी को अंजाम
अभियुक्त तीन टीमों में बंटकर अपराध को अंजाम देते थे। वे एक साथ मिलकर दो मोटरसाइकिलों पर बैठकर एक साथ पूरे शहर में घूमते थे। अगर रास्ते में कोई बुजुर्ग महिला या पुरूष सोने का आभूषण पहने हुए दिखायी देता था तो उससे करीब 100 मीटर आगे जाकर एक टीम मोटरसाइकिल खड़ा करके स्वयं क्राइम ब्रॉन्च का इंस्पेक्टर बनकर खड़े हो जाते थे। तभी मोटरसाइकिल चलाने वाली दूसरी टीम के सदस्य पुलिस कर्मचारी बनकर उस बुजुर्ग व्यक्ति को बुलाकर फर्जी क्राइम ब्रांच इन्स्पेक्टर के पास ले आते थे। उसके बाद उस बुजुर्ग व्यक्ति से बताया जाता था कि अभी कुछ दिन पहले इसी जगह पर एक व्यक्ति से कुछ बदमाशों ने चाकू मारकर आभूषण छीन लिया था इसलिये अपना आभूषण उतारकर अपने पास रख ले।
उसके बाद बुजुर्ग व्यक्ति अपना आभूषण उतारकर फर्जी क्राइम ब्रान्च इन्स्पेक्टर को दे देता है और फर्जी क्राइम ब्रान्च का इन्स्पेक्टर उसके सामने उस आभूषण को कागज में लपेट देता था। इसी दौरान बुजुर्ग व्यक्ति को अपनी बातो में उलझाकर आभूषण जैसी पहले से तैयार कागज की पुड़िया को पकड़ा दिया जाता था और हिदायत देता था कि इसे अपने घर पर जाकर हिफाजत से रख दें। पहले से तैयार कागज की पुड़िया तीन-चार पन्नो में लिपटी रहती थी। जब तक कोई बुजुर्ग व्यक्ति अपनी पुड़िया चेक करता तब तक यह लोग वहाँ से अपनी-अपनी मोटरसाइकिल से भाग जाते थे तथा कभी-कभी ठगी करने के दौरान बुजुर्ग व्यक्तियों को ठगी का एहसास हो जाता था तो उनका आभूषण छीन कर भी भाग जाते थे। लखनऊ शहर मे 8-10 दिन रूककर लूट व ठगी करते थे उसके बाद शहर छोड़कर एक दो महीने के लिए अन्य राज्य मे ठगी लूट करने के लिए चले जाते थे।