कामिका एकादशी का व्रत करने से मिलती है समस्त पापों से मुक्ति, जरूर सुनें यह व्रत कथा

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नई दिल्लीः एक वर्ष में 24 एकादशी होती हैं, लेकिन जब अधिकमास (मलमास) आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को कामिका एकादशी के नाम से जानते हैं। कामिका एकादशी व्रत के करने से व्यक्ति को दीर्घायु और मोक्ष की प्राप्ति होती है और समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत पुरुष और महिलाओं दोनों द्वारा किया जा सकता है कामिका एकादशी की कथा भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को सुनाई थी। इससे पूर्व मुनि वशिष्ठ ने राजा दिलीप को सुनाई थी।

कामिका एकादशी का मुहूर्त
श्रावण मास कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि तीन अगस्त मंगलवार दोपहर एक बजे शुरू हो गई है जो कि बुधवार चार अगस्त दुपहर तीन बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी,सूर्योदय व्यापिनी एकादशी तिथि चार अगस्त बुधवार को होगी। इसलिए कामिका एकादशी व्रत चार अगस्त बुधवार को होगा और कामिका एकादशी व्रत का पारण पांच अगस्त गुरुवार द्वादशी तिथि के दिन सुबह पांच बजकर 50 मिनट से सुबह आठ बजकर 26 मिनट तक किया जा सकता है। पारण के बाद किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर कुछ दान-दक्षिणा जरूर दें। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग है। ऐसे में इस वर्ष कामिका एकादशी का व्रत सर्वार्थ सिद्धि योग में रखा जाएगा। इस योग में किए गए कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। एकादशी के दिन ‘ॐ नमो वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करना चाहिए। हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का मात्र धार्मिक महत्त्व ही नहीं है, इसका मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के नजरिए से भी बहुत महत्त्व है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की आराधना को समर्पित होता है। यह व्रत मन को संयम सिखाता है और शरीर को नई ऊर्जा देता है।

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कामिका एकादशी की व्रत कथा
पौराणिक कथा के मुताबिक, बहुत समय पहले एक गांव में एक पहलवान रहता था। वह बहुत ही अच्छा इंसान था, किंतु वह थोड़ा क्रोधी स्वभाव का था। इसी के चलते आये दिन उस पहलवान की किसी न किसी बहस हो जाती थी। एक दिन पहलवान की एक ब्राह्मण से बहस हो गयी। पहलवान उस ब्राह्मण से इतना ज्यादा क्रोधित हो गया कि उसने उस ब्राह्मण की हत्या कर दी। जिसके चलते पहलवान पर ब्राह्मण हत्या का दोष लग गया। इस दोष से मुक्त होने के लिए पहलवान ब्राह्मण के अंतिम संस्कार में लगा, लेकिन पंडितों ने उसे वहां से भगा दिया। साथ ही पंडितों ने उस पहलवान का सामाजिक बहिष्कार भी कर दिया और उस पहलवान के घर में किसी भी अनुष्ठान में शामिल होने से भी इनकार कर दिया। इससे ब्राह्मण बहुत ही दुखी था। दुखी होेकर वह पहलवान एक साधु के पास पहुंचा और ब्राह्मण हत्या के दोष से मुक्ति का उपाय पूछा। तब उस साधु ने पहलवान को कामिका एकादशी के महात्म्य के बारे में बताया और उसे यह व्रत करने को कहा। साधु के कहने के अनुसार उस पहलवान ने पूरे विधि-विधान से कामिका एकादशी का व्रत एवं पूजन किया। एक दिन वह पहलवान भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष सो रहा था। तभी भगवान श्रीहरि ने उस पहलवान को नींद में दर्शन दिये और उससे कहा कि वह ब्राह्मण हत्या के दोष से मुक्त हो गया है। इस तरह कामिका एकादशी का व्रत एवं पूरे भक्तिभाव से पूजन करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त होता है।