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लखीमपुर हिंसा में मृत किसानों के परिजनों को मिलेगी आर्थिक मदद और सरकारी नौकरी, घटना की होगी न्यायिक जांच

लखनऊः उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में रविवार को हुई हिंसा में मारे गए किसानों को आर्थिक सहायता दी जायेगी। परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी मिलेगी। कई मुद्दों को लेकर किसान नेता और राज्य सरकार के प्रतिनिधियों से बातचीत के दौरान यह सहमति बन गई। जनपद में भारतीय किसान यूनियन के कर्ता-धर्ता राकेश टिकैत और अपर पुलिस महानिदेशक कानून एवं व्यवस्था प्रशांत कुमार के बीच बातचीत के बाद सोमवार को यह जानकारी दी। बातचीत के बाद निकले समाधान के तहत मृत किसानों के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और आर्थिक सहायता के तौर पर 45-45 लाख रुपये दी जायेगी। इसके अलावा घायलों को 10-10 लाख रुपये दिए जायेंगे।

किसानों की शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई है, जिसकी निष्पक्ष जांच की जाएगी। पूरे प्रकरण की हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की कमेटी से भी जांच कराई जाएगी। मौके पर किसानों के साथ लखनऊ से आये शासन-प्रशासन के अधिकारी मौजूद हैं और हालात नियंत्रण में बताए जा रहे हैं। शासन से बातचीत के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने बताया कि लखीमपुर की घटना को लेकर शासन स्तर पर आए अधिकारियों के दल से छह दौर बैठक चली। जिसमें तय हुआ कि मंत्री के बेटे से गलती हुई है।

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किसानों के रोकने पर मंत्री के बेटे ने काफिला नहीं रोका, जिससे यह बड़ी घटना सामने आई है। शासन ने मांगें मान ली हैं, यह देश के किसानों की जीत है। वहीं लखीमपुर कांड पर किसानों व शासन के समाधान निकलते ही सियासी रोटी सेंकने वाले विपक्षी दलों की मंशाओं को गहरा धक्का लगा है। बता दें कि प्रियंका वाड्रा, अखिलेश यादव, सतीश चन्द्र मिश्रा, संजय सिंह, शिवपाल यादव सहित अन्य नेताओं द्वारा लखीमपुर की दुर्भाग्यपूर्ण घटना को लेकर वहां पहुंचने और प्रदेश की शांति व्यवस्था को बिगाड़ने का कूचक्र रचने का प्रयास किया जा रहा था, जिसे योगी सरकार ने बातचीत के रास्ते हल निकालकर उनके मंसूबों को नाकाम कर दिया।

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