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तैयार हो रही थी नकली रेमडेसिविर, क्राइम ब्रांच ने सात को किया गिरफ्तार

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नई दिल्ली: कोविड महामारी के दौरान जीवन रक्षक दवाइयों और उपकरणों की काला बाजार अपने चरम पर है। खासकर रेमडेसिविर इंजेक्शन तो मार्केट से एकदम गायब है, जिन लोगों को यह मिल भी रहा है, उसकी कोई गारंटी नहीं कि वह असली है या नकली। जी हां दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने वाली एक फैक्टरी का भांडाफोड़ सात लोगों को गिरफ्तार किया है।

उत्तराखंड के कोटद्वार में कोविप्रि के नाम से रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाकर मुंहमांगे दामों में बेचा जा रहा था। आरोपित दूसरी एंटीबायोटिक दवाइयों को रेमडेसिविर का लेबल लगाकर या दूसरी शीशियों में भरकर बेच रहे थे। आरोपितों के पास से 198 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन, 3000 खाली शीशियां, पैकिंग मशीन, पैकिंग का अन्य सामान, दूसरी कंपनी की एंटीबायोटिक दवाईयां, कंप्यूटर, एक स्कोर्पियो गाड़ी व स्कूटी बरामद हुई है। आरोपित कोटद्वार की नेक्टर हर्ब्स एंड ड्रग्स कंपनी में सारा गोरखधंधा कर रहे थे।

पुलिस ने फिलहाल इसको सील कर दिया है। आरोपितों से पूछताछ कर मामले की छानबीन की जा रही है। क्राइम ब्रांच की डीसीपी मोनिका भारद्वाज ने बताया कि राजधानी में पिछले कुछ दिनों से कोविड की जरूरी दवाइयों की काला बाजारी हो रही थी। अपराध शाखा इसी की जांच कर रही थी। इसी कड़ी में क्राइम ब्रांच की टीम ने 23 अप्रैल को संगम विहार, एमबी रोड, दिल्ली से मो. शुएब खान और मोहन कुमार झा को नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की काला बाजारी करने के आरोप में दबोचा। इनके पास से कुल 10 इंजेक्शन बरामद हुए। आरोपितों ने बताया कि यह लोग बड़े-बड़े शहरों में 25 से 40 हजार रुपये का नकली इंजेक्शन बेच रहे हैं। इनसे पूछताछ के बाद पुलिस ने 25 अप्रैल को दिल्ली के यमुना विहार इलाके में छापेमारी कर मनीष गोयल और पुष्कर चंद्रकांत को गिरफ्तार कर इनके पास से 12 और नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बरामद कर लिये। दोनों से पूछताछ के बाद अगले दिन 26 अप्रैल को साधना शर्मा को यमुना विहार से गिरफ्तार उसके पास से 160 नकली इंजेक्शन बरामद हुए। पूछताछ के बाद इन लोगों ने बताया कि इंजेक्शन इन लोगों को कोटद्वार, हरिद्वार का वतन कुमार सैन उपलब्ध करा रहा है।

पकड़े गए आरोपितों की निशानदेही पर पुलिस की टीम ने 27 अप्रैल को हरिद्वार के कोटद्वार में छापा मारा। वहां से वतन कुमार सैनी को गिरफ्तार कर पैकिंग मशीन, 3000 खाली इंजेक्शन की शीशियां, लेबल व कुछ दूसरी एंटी बायोटिक दवाईयां बरामद हुई। वतन कुमार सैनी से पूछताछ के बाद मुख्य आरोपित मास्टर माइंड आदित्य गौतम को उत्तराखंड के रुड़की से गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपित ने दूसरी कंपनी के 2000 एंटी बायोटिक इंजेक्शन खरीदे हुए थे। आरोपित उनके लेबल बदलकर उन पर कोविप्रि (रेमडेसिविर) का लगाने की तैयार कर रहा था। आरोपी कंप्यूटर की मदद से इंजेक्शन के लेबल तैयार कर रहे थे। इसकी निशानदेही पर 16 और रेमडेसिविर इंजेक्शन बरामद हुए। पुलिस आरोपितों से पूछताछ कर मामले की जांच कर रही है।

ऐसे दे रहे थे आरोपित वारदात को अंजाम..

इस पूरे गोरखधंधे का मास्टर माइंड आदित्य गौतम है। बीकॉम करने के बाद वह हरिद्वार में एक कंपनी में अकाउंट्स की नौकरी करने लगा। 2016 तक उसने नौकरी की। इसके बाद एक दवाइयों की कंपनी में वह प्लांट हेड हो गया। 2019 में उसने कंपनी छोड़कर खुद की नेक्टर हर्ब्स एंड ड्रग्स के नाम से कंपनी लीज पर ले ली। बाद में वह वतन कुमार सैनी के साथ मिलकर नकली दवाईयां बनाने लगा। कोविड के समय में जब रेमडेसिविर की मांग बढ़ी तो आरोपितों ने उसे नकली बनाने की तैयारी शुरू की। वह दूसरी एंटी बायोटिक दवाइयों से नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन तैयार करने लगे। यहां तक कुछ इंजेक्शन के लेबल हटाकर उन पर सीधे रेमडेसिविर के लेबल ही लगाने लगे। बाद में इन इंजेक्शन को अपने नेटवर्क के जरिये पूरे देश में मुंहमांगे दामों में बेचने लगे। पुलिस सभी आरोपितों से पूछताछ कर मामले की जांच कर रही है।

कौन हैं पकड़े गए आरोपित…
-मो शुएब खान (28) दिल्ली के गांधी नगर इलाके के रहने वाला है, लॉक डाउन के दौरान वह मास्क और दस्ताने सप्लाई कर रहा था। इस दौरान वह आरोपितों के संपर्क में आ गया।
-मोहन कुमार झा (40), सेहतपुर फरीदाबाद, हरियाणा का रहने वाला है, वह भी मास्क और दस्ताने का काम करता था। शुएब के संपर्क में आने के बाद वह नकली रेमडेसिविर बेचने लगा।
-मनीष गोयल (35) राजेंद्र नगर, गाजियाबाद में रहता है। वह बीकॉक किए हुए है और नरेंद्र मोहन अस्पताल, मोहन नगर में कई साल नौकरी कर चुका है। वह फिलहाल कोविड के दौरान मेडिकल उपकरणों और नर्सिंग देने का काम कर रहा था। उसकी मुलाकात मोहन कुमार से हुई तभी सह वह इस गोरखधंधे में था।
-मूलरूप से महाराष्ट्र का रहने वाला पुष्कर चंद्रकांत पाखले (32) ने 2019 में एमबीए प्रथम वर्ष से छोड़ दिया था। 2020 से वह भी मास्क और दस्ताने सप्लाई का काम करता था। रेमडेसिविर की डिमांड बढ़ी तो उसकी मुलाकात वतन से हुई, जिसने फर्जी रेमडेसिविर की मार्केटिंग की बात की।
-यमुना विहार, दिल्ली की रहन वाली साधना शर्मा (40) खुद कोविड मरीज थी। वह अपने लिए रेमडेसिविर की तलाश करते हुए वतन सैनी से मिली। बाद में इनके साथ खुद नकली रेमडेसिविर का धंधा करने लगी।
-ज्वालापुर, हरिद्वार, उत्तराखंड निवासी वतन कुमार सैनी (32) बीफार्मा करने के बाद एमबीए किया था। वह कई दवाइयों की कंपनी में ऊंचे पद पर रह चुका है। 2019 में आदित्य से मुलाकात होने के बाद वह उसके साथ काम कर मोटा पैसा कमा रहा था।
-गुरुकुल नर्सन, हरिद्वार, उत्तराखंड का रहने वाला आदित्य गौतम (33) इस पूरे धंधे का मास्टर माइंड है। उसकी ही देखरेख में सारा धंधा चल रहा था। वह खुद अपनी कंपनी नेक्टर हर्ब्स एंड ड्रग्स कंपनी में नकली दवाईयां बनाकर बेच रहा था।