नई दिल्ली: एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर पेगासस जासूसी मामले की एसआईटी से जांच की मांग की है। इसके पहले भी पेगासस मामले की जांच के लिए तीन याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। एडिटर्स गिल्ड ने मांग की है कि केंद्र सरकार से वह विवरण मांगा जाए जिसके तहत उसने विदेशी कंपनियों को जासूसी की इजाजत दी। याचिका में इलेक्ट्रॉनिक जासूसी की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि देश के नागरिकों को ये जानने का अधिकार है कि क्या केंद्र सरकार उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन कर रही है।
पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए पांच उन पत्रकारों ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिनके नाम पेगासस जासूसी के लिए टारगेट सूची में बताए गए हैं। इन पत्रकारों में परांजय गुहा ठाकुरता, एसएनएम आब्दी, प्रेम शंकर झा , रुपेश कुमार सिंह और इप्सा शताक्षी शामिल हैं। याचिका में कहा गया है कि एम्नेस्टी इंटरनेशनल ने उनको मोबाइल फोन का फोरेंसिक परीक्षण कर बताया कि उनके फोन में पेगासस मैलवेयर मिला था। याचिका में इन पत्रकारों ने कहा है कि उन्हें इस बात की आशंका है कि केंद्र सरकार ने तीसरे पक्ष द्वारा उनके फोन को हैक कराकर जासूसी करवाई।
यह भी पढ़ें- त्रिपुरा में उग्रवादियों ने पेट्रोलिंग पार्टी पर किया हमला, BSF के दो जवान शहीद
इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार एन राम, शशि कुमार के अलावा वकील मनोहर लाल शर्मा और सीपीएम सांसद जॉन ब्रिटास ने भी अलग याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट उन याचिकाओं पर 5 अगस्त को सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस एनवी रमना और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
पिछले 30 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुप्रीम कोर्ट के जज से जांच की मांग पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया था। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इसे चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष जल्द सुनवाई के लिए मेंशन किया था, जिसके बाद कोर्ट ने अगस्त के पहले हफ्ते सुनवाई करने का आदेश दिया।
याचिका में कहा गया है कि पेगासस के जरिये पत्रकारों, वकीलों, सरकार के मंत्रियों, विपक्षी दलों के नेताओं और सिविल सोसायटी के कार्यकर्ताओं की जासूसी कराई गई है। याचिका में कहा गया है कि दुनिया के कई नामी अखबारों और पत्र-पत्रिकाओं ने इस बात का खुलासा किया है कि भारत के 142 से ज्यादा लोगों की पेगासस के जरिये जासूसी कराई गई। याचिका में मांग की गई है कि कोर्ट केंद्र सरकार को निर्देश देकर पूछे कि क्या पेगासस ने भारत सरकार की अनुमति ली थी या उसने खुद इसका इस्तेमाल किया था। याचिका में कहा गया है कि एम्नेस्टी इंटरनेशनल के सिक्योरिटी लैब ने भी इसकी पुष्टि की है।