Sunday, December 22, 2024
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अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने एक रात में बनाया था महादेव का ये मंदिर और तालाब

अनूपपुर: द्वापर युग में जब पांडव अज्ञातवास में थे, तब वे अनूपपुर नगर में एक रात रुके थे। इसी दौरान पत्थरों से बिना जोड़ का एक भव्य मंदिर का निर्माण किया था, जिसे शहर व जिले वासी शिव- मारुति सामतपुर मंदिर के नाम से जानते हैं। मंदिर के गर्भ गृह में भगवान शिव की प्राचीन प्रतिमा स्थापित है, जिसे पांडवों ने खुद स्थापित किया था। मंदिर में हनुमान जी की भी प्रतिमा विराजित है। इसलिए मंदिर का नाम शिव- मारुति पड़ा। मंदिर आद्वितीय स्थापत्य वास्तुकला के लिए भी प्रसिद्ध है। यह जिले की पुरातात्विक एवं ऐतिहासिक विरासत है।

मंदिर का निर्माण भी अन्य मंदिरों से हटकर है। जनश्रुति है कि पांडवों ने मंदिर के साथ ही करीब 8 एकड़ में फैला तालाब का निर्माण भी किया गया है। यहां लोगों की आस्था जुड़ हैं जो भी मनोकामना लिए यहां मत्था टेकता है उसकी इच्छाएं पूरी होती है। महाशिवरात्रि का पर्व हो या फिर सावन सोमवार यहां श्रद्धालुओं की भीड़ जलाभिषेक एवं पूजन के लिए उमड़ती है।

लोगों के मतानुसार अज्ञातवास के दौरान पांचों पांडव और द्रोपती वनवास पर थे तो इस क्षेत्र में बिताया था इस दौरान शहडोल में विराट मंदिर, लखबरिया, भठिया के बाद अनूपपुर पहुंचे थे। पांडवों ने मंदिर से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर सोन नदी तट के पत्थरों को तराश कर मंदिर का निर्माण किया था। सैकड़ों वर्ष पुराना यह मंदिर आज भी मजबूती के साथ स्थापित है। मंदिर एक ही रात में बनाया गया था सभी जगह पत्थर का उपयोग किया गया है, चार स्तंभ मंदिर के अंदर मुख्य रूप से बनाए गए हैं, जो मजबूती को आधार देते हैं। गर्भ गृह के बाहर मुख्य द्वार पर भगवान विष्णु के 10 अवतारों के मूर्ति बनी हुई है, फिर नीचे शेषनाग, माता लक्ष्मी और गणेश की प्रतिमा है।

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द्वार के दोनों तरफ द्वारपाल हैं। मुख्य द्वार के आगे 4 स्तंभों में बाईं तरफ घोड़ों में सवार भगवान सूर्य, नीचे पुत्र कर्ण और नीचे हाथी पर सवार इंद्र की प्रतिमा बनी हुई है। दाएं स्तंभ में राजा इंद्र फिर नीचे धनुष लिए हुए पुत्र अर्जुन हैं। दोनों स्तंभों में हरि प्रभु कृष्ण और गोपियों की भी प्रतिमा है। मंदिर के पीछे भगवान शिव और विष्णु जी के परिवार की प्रतिमाएं पत्थर पर नक्काशीदार बनी हुई हैं। शिखर पर उत्तर की तरफ मूर्तियां हैं। माघ माह में एक माह का अखंड पाठ यहां पिछले 20 वर्षों से निरंतर चलता आ रहा है। यहां महामृत्युंजय जाप, शिव स्तुति,रुद्राभिषेक के लिए भक्तों पहुंचते हैं। पुरातत्व विभाग ने भी इसे प्राचीन मंदिर माना है।

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