हरिद्वारः जूना अखाड़े में आज गुरुवार से शुरू हो रही संतों की धर्म संसद (Dharm Sansad) को प्रशासन ने अनुमति नहीं दी है। जबकि धर्म संसद को लेकर संत मुखर हैं। इससे टकराव की भी आशंका है। संतों ने इसकी अनुमति को लेकर मुख्यमंत्री को खून से लिखे पत्र भी भेजे हैं। तीन साल पहले हरिद्वार में आयोजित ऐसी ही धर्म संसद में अभद्र भाषा का मामला दिल्ली तक गूंजा था, जिसके बाद धर्म संसद को लेकर प्रशासन पूरी तरह सतर्क है।
Dharm Sansad: प्रशासन और संतों के बीच बढ़ी बहस
प्रशासन के साथ संतों की बैठक के बाद प्रशासन ने साफ कह दिया है कि धर्म संसद के आयोजन की अनुमति नहीं दी जा सकती। जबकि संतों का कहना है कि वे कार्यक्रम किसी सार्वजनिक स्थान पर नहीं बल्कि जूना अखाड़े में आयोजित कर रहे हैं, इसलिए उन्हें इसकी अनुमति मिलनी चाहिए।
Dharm Sansad: बांग्लादेश के मुद्दे पर होनी है चर्चा
संतों की ओर से कहा गया है कि वे कोई राजनीतिक या नफरत फैलाने वाला कार्यक्रम आयोजित नहीं कर रहे हैं, बल्कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आक्रोश व्यक्त करने के लिए कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। इसलिए उन्हें जूना अखाड़े में विश्व धर्म संसद के आयोजन की अनुमति मिलनी चाहिए। प्रशासन की सख्ती के बाद संतों की ओर से कोई टिप्पणी नहीं आई है, लेकिन जूना अखाड़े में जहां बगुलामुखी यज्ञ चल रहा है, वहां टेंट लगा दिया गया है।
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धर्म संसद के लिए यह स्थान तय किया गया है। फिलहाल प्रशासन संतों के आयोजन पर नजर रखे हुए है। पुलिस और खुफिया तंत्र भी संतों के आयोजन पर नजर रखे हुए है। हरिद्वार थाना प्रभारी कुंदन सिंह राणा ने बताया कि प्रशासन ने धर्म संसद के लिए अनुमति नहीं दी है। इसका पूरा पालन किया जाएगा।
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