Friday, January 17, 2025
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Share Market Crash: अमेरिका के एक फैसले से औंधे मुंह गिरा भारतीय शेयर बाजार

Share Market Crash: दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिकी शेयर बाजारों में भारी गिरावट के बाद गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार भी औंधे मुंह गिर गया। दरअसल, अमेरिका में कल रात फेड के दरों में कटौती के फैसले के बाद अमेरिकी बाजारों में और भी गिरावट आई है।

बुधवार देर रात अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक ने 0.25 फीसदी की दर कटौती की घोषणा की है, जो लगातार तीसरी दर कटौती है। इसके चलते बाजार का मूड खराब हो गया और इसका असर वैश्विक बाजार के साथ भारतीय शेयर बाजार में भी देखने को मिला।

Share Market Crash: सेंसेक्स 1000 तो निफ्टी 300 अंक लुढ़का

गुरुवार का कारोबारी सत्र भारतीय शेयर बाजार के लिए घाटे का रहा। सेंसेक्स (Sensex) जहां 1000 अंक नीचे जा लुढ़का तो वहीं निफ्टी ( Nifty) में भी 300 अंकों की गिरावट देखने को मिली है। दरअसल बाजार को अगले साल चार बार ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद थी। जिसका असर भारतीय बाजारों पर भी पड़ा है। शेयर बाजार में चौतरफा गिरावट देखने को मिली।

Share Market Crash: इन शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट

फिलहाल सेंसेक्स फिर 80000 अंक के नीचे फिसलकर 946 अंकों की गिरावट के साथ 79,237 पर और निफ्टी 291 अंकों की गिरावट के साथ 23,907 पर कारोबार कर रहा है। फार्मा और हेल्थकेयर को छोड़कर सभी सूचकांक लाल निशान पर बंद हुए। ऑटो, आईटी, वित्तीय सेवाएं, रियल्टी, मीडिया, ऊर्जा और निजी बैंक सबसे ज़्यादा नुकसान में रहे। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर 1,684 शेयर हरे निशान में और 2,309 लाल निशान में बंद हुए और 102 शेयर अपरिवर्तित रहे।

ये भी पढ़ेंः- Share Market : बाजार में बिकवाली हावी, निवेशकों को लगी 2000 करोड़ रुपये की चपत

सेंसेक्स के 30 में से 27 शेयर लाल निशान में बंद हुए। बजाज फिनसर्व, बजाज फाइनेंस, एशियन पेंट्स, जेएसडब्ल्यू स्टील, आईसीआईसीआई बैंक, टीसीएस, इंफोसिस, टाटा मोटर्स, आईटीसी और रिलायंस इंडस्ट्रीज सबसे ज़्यादा नुकसान में रहे। सन फार्मा, एचयूएल और पावर ग्रिड कॉरपोरेशन सबसे ज़्यादा लाभ में रहे।

Share Market Crash: क्या कहना है कि विशेषज्ञों

बाजार विशेषज्ञों की माने तो “अमेरिकी फेड के ब्याज दरों पर आक्रामक रुख के कारण वैश्विक बिकवाली के बाद भारतीय बाजारों में व्यापक गिरावट देखी गई। बैंकिंग और रियल एस्टेट जैसे ब्याज दर संवेदनशील क्षेत्रों को सबसे ज़्यादा नुकसान हुआ। विशेषज्ञों ने आगे कहा, “बैंक ऑफ जापान के ब्याज दरों को स्थिर रखने के फैसले ने अर्थशास्त्रियों को चौंका दिया, जिससे बिक्री दबाव कम करने में मदद मिली। एफआईआई द्वारा जारी बिकवाली के बीच निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए।”

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