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विभागीय अनदेखी पड़ी भारी, एक दशक में ही कंडम हो गयी नगर बसें

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लखनऊः राजधानी की नगरीय परिवहन सेवा विभागीय अनदेखी के चलते फिसड्डी हो गयी है। नगर बसों पर विभागीय अनदेखी इस कदर भारी पड़ी कि एक दशक में ही बसें कंडम हो गयीं, जबकि इन बसों का कम से कम 15 साल संचालन किया जाना था। विभागों के ध्यान न देने के चलते आज सिटी बसें खस्ताहाल हो चुकी है। जिसका नतीजा है कि बीते दिनों हुए एक सर्वे में राजधानी लखनऊ की नगरीय परिवहन की सुविधाओं को 46वें पायदान पर रखा गया है।

दरअसल, राजधानी में एक दशक पहले यात्रियों को बेहतर सुविधा देने के लिए सिटी बसों का संचालन शुरू किया गया था। राजधानीवासियों को सार्वजनिक परिवहन की बेहतर सुविधा देने की जिम्मेदारी 8 विभागों को सौंपी गयी थी, मगर सभी विभागों ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन सही तरीके से नहीं किया। जिसके चलते ही समय से पूर्व ही सिटी बसें कंडम होकर डिपो की शोभा बढ़ा रही हैं। वहीं जिन बसों का संचालन किया भी जा रहा है, वे भी खस्ताहाल हैं। जोड-तोड़ कर किसी तरह ये बसें सड़कों पर संचालित की जा रही हैं।

260 में से चल रही 90 बसें

शहर की परिवहन सेवा पर 8 विभागों की अनदेखी भारी पड़ गयी। जिसका नतीजा है कि 260 बसों के बेड़े के साथ शुरू हुआ सिटी बसों का संचालन आज 90 बसों तक सीमित रह गया है। जो बसें संचालित भी हो रही हैं, वह देखभाल के अभाव में खटारा हो गयी हैं।

दुबग्गा डिपो से चल रही 40 इलेक्ट्रिक बसें

राजधानी में सिटी बसों का संचालन गोमतीनगर और दुबग्गा बस डिपो से किया जाता है। इनमें गोमती नगर डिपो से सिर्फ सिटी बसें संचालित की जाती हैं, जबकि दुबग्गा डिपो से 40 इलेक्ट्रिक बसों के साथ सीएनजी बसें भी संचालित की जा रही हैं। नगरीय बस बेड़े की 40 इलेक्ट्रिक बसों को छोड़कर लगभग सभी सीएनजी बसें कबाड़ हो चुकी हैं। यह बसें बीच रास्ते कब खराब हो जाएं कुछ कहा नहीं जा सकता है।

इन विभागों को मिली थी जिम्मेदारी

राजधानी में सिटी बसों के बेहतर संचालन और रख-रखाव के लिए 8 विभागों को मिलाकर स्पेशल पर्पज व्हीकल (एसपीवी) का गठन किया गया था। जिसमें परिवहन निगम, परिवहन विभाग, एलडीए, नगर निगम नगर विकास विभाग, आवास विकास, जिला प्रशासन, पुलिस विभाग को शामिल किया गया था।

जल्द आएंगी 100 इलेक्ट्रिक बसें

राजधानीवासियों को सिटी बसों की बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए स्मार्ट सिटी के तहत 100 इलेक्ट्रिक बसें आएंगी। जिनकी सुविधा जल्द ही राजधानीवासियों को मिलेगी। नगरीय परिवहन निदेशालय के अधिकारियों की मानें तो आगामी जून माह तक 100 इलेक्ट्रिक बसों की सुविधा मिलनी प्रारंभ हो जाएगी।

एक दशक में ही कबाड़ हो गईं बसें

शहर में सार्वजनिक परिवहन की बेहतर सुविधा के लिए साल 2009-10 में जवाहरलाल नेहरू अर्बन ट्रांसपोर्ट मिशन योजना के तहत 260 बसें लखनऊ को मिली थी। इन बसों का संचालन आगामी 15 सालों तक किया जाना था, बावजूद इसके ये बसें 10 साल में ही कबाड़ हो गयीं। मरम्मत में लापरवाही के चलते ही बसें कबाड़ होकर डिपो में खड़ी हैं।

11 शहरों में चलेंगी इलेक्ट्रिक बसें

प्रदेश की राजधानी समेत 11 शहरों में 700 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन जल्द प्रारंभ होगा। जिन शहरों में इलेक्ट्रिक बसें चलेंगी, उनमें आगरा में 100, कानपुर में 100, लखनऊ में 100, झांसी में 25, अलीगढ़ में 25, मुरादाबाद में 25, प्रयागराज में 50, वाराणसी में 50, गाजियाबाद में 50, बरेली में 25 और मेरठ में 50 इलेक्ट्रिक सिटी बसें शामिल हैं।

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15 शहरों में 1525 सीएनजी बसों का प्रस्ताव

राजधानी समेत प्रदेश के 15 शहरों में नई सीएनजी बसें चलेंगी। इस संबंध में नगर विकास विभाग ने शासन को प्रस्ताव भी भेजा है। वहीं खटारा हो चुकी 1310 सीएनजी बसों को नीलाम किया जाएगा। जिन शहरों में नई सीएनजी बसें चलेंगी, उनमें लखनऊ 200, गाजियाबाद 200, कानपुर 150, वाराणसी 150, प्रयागराज 150, मेरठ 150, आगरा 100, मथुरा 100, मुरादाबाद 75, अयोध्या 50, अलीगढ़ 50, बरेली 50, गोरखपुर 50, सहारनपुर 50 और झांसी 50 शामिल हैं।