नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली आबकारी नीति घोटाले के संबंध में दायर अपनी दूसरी पूरक चार्जशीट में, मंत्रियों के समूह (जीओएम) की बैठकों में कथित अनियमितताओं का आरोप लगाया है, जिसमें कहा गया है कि कोई रिकॉर्ड नहीं रखा गया था और एक्साइज कमिश्नर को कभी आमंत्रित नहीं किया गया।
सीबीआई के एक सूत्र के मुताबिक, अरवा गोपी कृष्ण को मार्च 2021 में आबकारी आयुक्त के रूप में कार्यभार संभालने से पहले, पिछले महीने 8 से 10 जीओएम बैठकें हुई थीं, लेकिन सीबीआई ने आरोप लगाया है कि उन मुलाकातों का कोई रिकॉर्ड नहीं है। सूत्रों ने कहा कि फरवरी में उन्होंने बैठकें कीं, लेकिन कोई रिकॉर्ड या मिनट पेश नहीं किया, जिससे संकेत मिले कि कुछ गलत था। बाद में जब 5 मार्च, 2021 को अरवा गोपी कृष्ण आबकारी आयुक्त बने, तो उन्हें जीओएम की बैठक में कभी आमंत्रित नहीं किया गया। इन दोनों तथ्यों ने संकेत दिया कि कुछ गलत था।
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मामले में दाखिल हो चुकी है दो चार्चशीट
वहीं, सूत्र ने कहा कि सीबीआई ने आबकारी विभाग से यह जानकारी मांगी थी, लेकिन उन्हें नहीं दी गई और बाद में केंद्रीय जांच एजेंसी को इस बात का पता चला कि उन्होंने कोई रिकॉर्ड तैयार नहीं किया। सीबीआई जांच ने स्थापित किया कि जीओएम रिपोर्ट में किसी भी प्रावधान को शामिल करने के लिए उन बैठकों में कोई निर्णय नहीं लिया गया था। इसके अलावा, उल्लिखित बैठकों में थोक मॉडल के संबंध में कोई चर्चा शामिल नहीं थी।
इसके अलावा, थोक विक्रेताओं (एल-1 लाइसेंसधारियों) के लिए 12 प्रतिशत लाभ मार्जिन या संबंधित संस्थाओं की परिभाषा के संबंध में कोई जांच या विश्लेषण नहीं किया गया था। चार्जशीट का हवाला देते हुए सीबीआई के एक सूत्र ने कहा कि आबकारी विभाग से न तो सलाह ली गई और न ही जीओएम रिपोर्ट का मसौदा उपलब्ध कराया गया। सीबीआई इस मामले में अब तक दो चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। फिलहाल जांच चल रही है।
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