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लव जिहाद व धर्मांतरण के कुचक्र में फंसती बेटियां

The Kerala Story' - A mind-boggling reality नरेंद्र मोदी सरकार का एक नारा काफी लोकप्रिय हुआ है। वह है ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’। यह महिला सशक्तिकरण का नारा है। इसके मूल में यह बात है कि जब तक भारत की आधी आबादी की प्रगति नहीं होती और उन्हें मुख्यधारा में नहीं लाया जाता, तब तक भारत के विकास को अधूरा ही माना जाएगा। आजादी के बाद स्त्रियों को जो स्वतंत्रता मिली, उसी का परिणाम है कि आज समाज और जीवन के क्षेत्र में स्त्रियों की क्षमता और प्रतिभा का विस्फोट हुआ है। वर्तमान में स्त्री समाज की समस्याएं बढ़ी हैं। भारत ऐसा देश है, जहां शास्त्रों में नारी को बड़ा स्थान दिया गया है। समाज उन्हें देवी कह कर पूजता है। ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमंते तत्र देवता’ की बातें खूब की जाती हैं लेकिन सच्चाई तो यह है कि संवैधानिक समानता और स्वतंत्रता के बाद भी उनका सामाजिक दर्जा अभी भी दोयम बना हुआ है। हिंसा और स्त्रियों के साथ होने वाले व्यभिचार के अनेक रूप सामने आए हैं और नए-नए रूप सामने आते रहते हैं। यह चिंता की बात है। पिछले दिनों थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन की रिपोर्ट में औरतों के लिए भारत को सर्वाधिक असुरक्षित देश माना गया था। समय-समय पर ऐसी रिपोर्टें आती रहती हैं। इस पर सरकार द्वारा दी गई सफाई लीपापोती से अधिक नहीं है। पिछले दिनों मानव तस्करी, लव जिहाद, धर्मांतरण जैसी समस्याएं सामने आई हैं। इसने त्रासदी का रूप लिया है। देखने में आया है कि इसकी शिकार सबसे अधिक स्त्रियां हुई हैं। इसी को केंद्र में रखकर एक फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ आई है, जिसे लेकर काफी विवाद और घमासान मचा है वहीं यह त्रासद सच्चाई भी सामने आती है, जिसमें केरल की औरतों का धर्मांतरण कर उन्हें आतंकवादी संगठन में शामिल किया गया। हम आलेख में इसी विषय पर चर्चा करेंगे। ‘द केरल स्टोरी’ हिंदी फिल्म है। इसके निर्माता विपुल अमृतलाल शाह व निर्देशक सुदीप्तो सेन हैं। विपुल शाह का जन्म गुजरात के कच्छ में हुआ था। उन्होंने कई फिल्मों का निर्देशन और निर्माण किया है। वे अमिताभ बच्चन और अक्षय कुमार जैसे अभिनेताओं के साथ भी काम कर चुके हैं। उन पर ‘मी टू मोमेंट’ के तहत सेक्सुअल हैरेसमेंट का भी आरोप लग चुका है। इन पर यह आरोप एक्ट्रेस ‘सैक्रेड गेम्स’ में काम करने वाली अभिनेत्री एलनाज नौरोजी ने लगाया था। हालांकि, बाद में उन्हें क्लीनचिट दे दी गई। फिलहाल वे प्रोड्यूसर के तौर पर फिल्म ‘फोर्स 3’ पर काम कर रहे हैं, जो 2024 में रिलीज होगी। निर्देशक सुदीप्तो सेन फिल्मी दुनिया में एक जाना-पहचाना नाम है। उन्होंने 1997 में डॉक्यूमेंट्री फिल्म से निर्देशन की शुरुआत की। पहली फीचर फिल्म उन्होंने अंग्रेजी में बनाई। मलयालम में भी उनकी फीचर फिल्म है। इसके साथ हिंदी में लखनऊ टाइम्स, आसमा, गुरुजी, अहेड आफ टाइम आदि हैं। ‘द केरल स्टोरी’ उनकी सबसे नवीनतम फिल्म है। 2018 में भी उनकी एक फिल्म ‘इन द नेम ऑफ लव’ को लेकर भी विवाद हुआ था। यह केरल में महिलाओं की कथित धर्म परिवर्तन की थीम पर आधारित फिल्म थी। ‘द केरल स्टोरी’ की विषय वस्तु लव जेहाद, धर्मांतरण तथा इस्लामिक आतंकवाद है। इसकी कहानी केरल की औरतों के एक समूह की है, जो धर्मांतरण करके मुसलमान बना दी जाती हैं। वे आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) में शामिल हो जाती हैं। ये हैं शालिनी, नीमा और गीतांजलि। तीनों नर्स बनने का सपना लिए घर से दूर एक कॉलेज में आती हैं, जहां उनकी मुलाकात आसिफा से होती है। आसिफा एक फंडामेंटलिस्ट है और आईएसआईएस के लिए काम करती है। जैसे-जैसे फिल्म की कहानी आगे बढ़ती है, वैसे-वैसे यह पता चलता है कि वह आईएसआईएस के लिए लड़की सप्लाई करती है। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे आसिफा अपने साथियों की मदद से उन तीन लड़कियों का ब्रेनवॉश करके उन्हें अपना धर्म बदलने के लिए उकसाती है। आसिफा अपने प्लान में कामयाब हो जाती है। तीनों लड़कियों में शालिनी सबसे पहले उससे प्रभावित हो जाती है और अपना धर्म बदल लेती है। वह ‘फातिमा बा’ बन चुकी होती है। इतना ही नहीं शालिनी को आसिफा के एक दोस्त से प्यार भी हो जाता है। दोनों शादी कर लेते हैं। इसके बाद फिल्म की कहानी में जबर्दस्त मोड़ आता है और फातिमा बन चुकी शालिनी अपने बच्चे के साथ इराक-सीरिया बॉर्डर पर नजर आती है। ऐसा क्या हुआ और कैसे हुआ, फिल्म इसी की कहानी बयां करती है। हालांकि, नीमा और गीतांजलि, शालिनी की तरह आईएसआईएस तक तो नहीं गई, लेकिन उन्हें इसका नतीजा भारत में रहकर ही भुगतना पड़ा। the-kerala-story फिल्म में सारे घटनाक्रम को एक सच्ची कहानी के रूप में प्रस्तुत किया गया है और बताया गया है कि दुनिया की हजारों महिलाओं को इस्लाम में जबरदस्ती परिवर्तित किया जा रहा है। उन्हें आईएसआईएस में भर्ती किया जा रहा है। अदा शर्मा फिल्म में फातिमा बा एक हिंदू मलयाली नर्स की भूमिका में है। उन्हें मुख्य किरदार निभाते हुए दिखाया गया है, जो एक अफगान जेल में मरने से पहले हिंदू और ईसाई समुदायों की 32,000 लड़कियों में से एक होने की पहचान करती है, जो केरल से लापता हैं और इस्लाम में परिवर्तित होने के बाद आईएसआईएस में भर्ती की गई। ‘द केरल स्टोरी’ का टीजर 03 नवंबर 2022 को जारी किया गया था। इसके जारी होने के बाद ही यह फिल्म विवादों से घिर गई। आमतौर पर फिल्म के कथानक को काल्पनिक घटनाओं पर आधारित होने की घोषणा की जाती है, लेकिन इससे उलट ‘द केरल स्टोरी’ फ़िल्म के निर्माता-निर्देशक का दावा है कि इसकी कथा वस्तु सच्ची घटनाओं पर आधारित है। यह ऐसी सच्चाई है, जिसे कहने की किसी ने हिम्मत नहीं की। फिल्म निर्देशक सुदीप्तो सेन का कहना है कि इसकी कहानी पर उन्होंने सात साल तक काम किया है और जो आंकड़े पेश किए हैं, वह सच्चाई है। लव जिहाद, धर्मांतरण और आतंकी साजिश को यह फिल्म बेनकाब करती है। सबसे ज्यादा विवाद फिल्म में किए उस दावे को लेकर है, जिसमें कहा गया है कि शालिनी की तरह केरल से 32,000 लड़कियों को धर्म बदल कर शादी करने का शिकार बनाकर इस्लामिक आतंकवादी संगठनों का हिस्सा बनने के लिए भेजा गया। फिल्म में दिखाई गई घटनाओं के वास्तविक साक्ष्य की आंकड़ों से पुष्टि नहीं होती। फिल्म में 32,000 हिंदू और इसाई औरतों के मुसलमान बनने और आईएसआईएस में शामिल होने का तथ्य दिया गया है, जबकि फिल्म मात्र तीन ऐसी औरतों की कहानी कहती है। निर्माता-निर्देशक मीडिया साक्षात्कार में अपने इस आंकड़े की पुष्ष्टि नहीं कर पाए है, बाद में टीजर से इस हिस्से को हटाना पड़ा इसीलिए इस फिल्म का विरोध करने वालों का कहना है कि तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर तथा बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया गया है। इसके द्वारा देश के अग्रणी राज्य केरल की छवि खराब की गई है। यह केरल की जनता का अपमान है। इसका मकसद राजनीतिक प्रोपेगैंडा है।

आंकड़ों के अधिक सच्चाई को समझने की जरूरत

आइए देखें कि वास्तविक आंकड़े क्या कहते हैं ? ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन ने 2019 की एक रिपोर्ट में कहा है कि 2014 से 2018 के बीच में केरल से कुल 60-70 व्यक्ति आईएसआईएस में शामिल हुए। खुद भारत सरकार के अपने आंकड़ों में आईएसआईएस में शामिल हुए व्यक्तियों की कुल संख्या पूरे देश से इसी दौरान 100-200 के बीच है। इन आंकड़ों में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं है कि इन व्यक्तियों में ऐसी औरतों की संख्या कितनी है, जिन्हें हिंदू से मुस्लिम बनाया गया और आईएसआईएस में शामिल कराया गया या वे शामिल हुईं। इसके साथ ही अमेरिकी सरकार ने आईएसआईएस में भारत से शामिल व्यक्तियों की 2020 तक कुल संख्या 66 बताई है। फिल्म में दिखाई गई घटनाएं केरल की उन चार महिलाओं से प्रेरित है, जिनमें से तीन ने इस्लाम धर्म अपना लिया और 2016-2018 के बीच आईएसआईएस में शामिल होने के लिए अपने पतियों के साथ अफगानिस्तान चली गईं। वे 2016 में आईएसआईएस में शामिल होने वाले केरल के 21 सदस्यीय समूह का हिस्सा थीं। 2019 में आत्मसमर्पण करने के बाद से अफगानिस्तान में कैद हैं। फिल्म निर्देशक सुदीप्तो सेन के सामने जब आंकड़े रखे गए,े तो उन्होंने कहा कि यह ‘लव जेहाद’ से जुड़ी घटना है। उनके आंकड़े का स्रोत केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी का विधानसभा में दिया 2012 का बयान है, जिसमें उन्होंने कहा था कि 2006 से लेकर 2012 के बीच कुल 7,713 लोगों ने इस्लाम धर्म कबूल किया, जिनमें 2,803 हिंदू शामिल थे। उनके मुताबिक, 2009 से 2012 के बीच 2,667 युवा लड़कियों ने इस्लाम अपनाया था, जिनमें 2,195 हिंदू युवतियां थीं जबकि 472 ईसाई धर्म से थीं। मुख्यमंत्री का यह भी कहना था कि ईसाई धर्म अपनाने वालों का कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। फिल्म निर्देशक का कहना था कि चार वर्ष का यह आंकड़ा है, तो 17 वर्ष में क्या संख्या होगी ? the-kerala-story भारत में छोटी-बड़ी समस्याएं या विषय हो, उनका राजनीतिकरण होना सामान्य सी बात है। ‘द केरल स्टोरी’ के साथ भी यही घटित हुआ है। इस फिल्म के टीजर/ट्रेलर आने के बाद राजनीति और समाज दो धड़ों में बंट गया है। एक धड़ा फिल्म को प्रोपेगेंडा कहकर खारिज कर रहा है, तो दूसरा इसे केरल की जमीनी सच्चाई बता रहा है। केरल में पक्ष और विपक्ष दोनों एकजुट हैं। मुख्यमंत्री विजयन का कहना है कि ‘लव जिहाद’ ऐसा टर्म है, जिसे अदालतें, जांच एजेंसियां, यहां तक कि गृह मंत्रालय भी खारिज कर चुका है। 2009 में भारत सरकार का मंत्रालय इस संबंध का हलफनामा भी दाखिल कर चुका है। मुख्यमंत्री के मत से फिल्म का मकसद सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करना और केरल राज्य को बदनाम करना है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उससे जुड़े संगठन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने फिल्म का समर्थन किया है। भाजपा ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में अपने राजनीतिक अभियान के लिए ‘द केरल स्टोरी का इस्तेमाल किया। चुनाव के अंतिम चरण में फिल्म की चर्चा गर्म रही। प्रधानमंत्री ने भी अपनी चुनावी सभा में इस फिल्म के माध्यम से केरल में चल रही आतंकी साजिश के बारे में बताया और कांग्रेस को इसके साथ खड़े होने की बात कही। बेंगलुरू में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और सांसद तेजस्वी सूर्या ने फिल्म की विशेष स्क्रीनिंग आयोजित की। इसे ऑर्गेनाइजर द्वारा ‘एक खतरनाक सच्चाई’ के रूप में वर्णित किया गया है। ज्ञात हो कि ऑर्गेनाइजर आरएसएस से संबंधित पत्र है। नरेंद्र मोदी के समर्थन के बाद फिल्म को मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा कर मुक्त कर दिया गया। इसे उत्तर प्रदेश राज्य में भी कर मुक्त घोषित किया गया। दोनों राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं, वहीं पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने इसके प्रदर्शन पर रोक लगा दी। तमिलनाडु में भी इसके दिखाए जाने पर रोक लग गई। इस तरह यह विवाद राजनीतिक बन गया है।

कोर्ट के कठघरे में फिल्म

फिल्म की रिलीज को रोकने के कानूनी प्रयास भी खूब हुए। केरल हाईकोर्ट ने फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। यह कहते हुए कि फिल्म आईएसआईएस के बारे में है, न कि किसी विशेष धर्म व समुदाय के बारे में है। निर्माता उस टीजर को हटाने पर सहमत हो गए, जिसे विवादास्पद दावा किया गया था। निर्माताओं का यह भी कहना था कि एक डिस्क्लेमर भी प्रकाशित किया गया है कि यह फिल्म कात्पनिक है और घटनाओं का नाट्य रूपांतरण है। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। जो याचिका दायर की गई, उसमें केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) सेंसर बोर्ड के सर्टिफिकेट को चुनौती दी गई। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। उसका कहना था कि सीबीएफसी ने इसे मंजूरी दी है। फिल्म पर रोक लगाने की याचिका जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने भी दायर की। इसी तरह एक जनहित याचिक मद्रास हाईकोर्ट में भी दाखिल की गई। सभी खारिज कर दी गईं। गौरतलब है कि बोर्ड ने फिल्म पर काफी कैंची चलाई है। अदा शर्मा जो मुख्य अभिनेत्री है, उन पर दस कट लगाए और सर्टिफिकेट ‘ए’ के तहत फिल्म को रिलीज करने की इजाजत दी गई। इस तरह तमाम विरोध-अवरोध, वाद-विवाद और बहस-मुबाहिसे के बाद 05 मई को फिल्म सिनेमाघरों को रिलीज की गई। इस फिल्म ने अपने रिलीज के पहले दिन भारत में 8.03 करोड़ रूपए की कमाई की। इसने उसी दिन रिलीज हुई ‘गार्डियंस ऑफ द गैलेक्सी वॉल्यूम’ को कमाई के मामले में पछाड़ दिया। उसकी कमाई 07 करोड़ रुपए थी। इसमें हॉलीवुड के तमाम सितारे हैं। the-kerala-story यह भी पढ़ेंः-चार धाम : जहां पृथ्वी और स्वर्ग होते हैं एकाकार

द केरल स्टोरी 2023 में भारत में पांचवीं सबसे बड़ी ओपनर बन गई। इस फिल्म में अदा शर्मा को छोड़ कोई भी जाना-माना चेहरा नहीं है। किसी ने नहीं सोचा था कि यह फिल्म इस तरह हिट होगी। इसके पीछे फिल्म की संवेदनशील थीम और फिल्म के टीजर/ट्रेलर के बाद उसे लेकर हुए विवाद को इसका मुख्य कारण माना जाता है। देखा भी गया है कि जिन फिल्मों को लेकर विवाद होता है, उनकी कमाई भी अच्छी होती है। इस संबंध में सुधीर मिश्रा की ‘अफवाह’ को लें, जो मई के पहले सप्ताह में ‘द केरला स्टोरी’ के साथ रिलीज हुई। इसकी थीम भी ‘लव जिहाद’ पर है। एक सामान्य सी घटना को ‘लव जिहाद’ के रूप में प्रचारित कर दिया जाता है। इसे अफवाह बना देने में सोशल मीडिया की भूमिका होती है। पूरा इलाका सांप्रदायिक हिंसा में जल उठता है। यह फिल्म बॉक्स आफिस पर बुरी तरह फ्लॉप रही। ‘द केरला स्टोरी’ के प्रकरण को हम कैसे देखें ? फिल्म हो या फिक्शन, यह रिक्रिएशन होता है यानी पुनः सृजन। इनका संबंध समाज की सच्चाई से है, जिसे रचनाकार या निर्माता-निर्देशक अपनी कल्पनाशीलता से पुनः रचते हैं। फिल्म सबसे लोकप्रिय कला माध्यम है। उसके अंदर अदृश्य को दृश्यमान कर देने तथा वास्तविक को अवास्तविक बना देने की क्षमता है। केरल स्टोरी यह काम करती है। मानव तस्करी, लव जिहाद, धर्मांतरण, आतंकवादी साजिश आदि की सर्वाधिक शिकार महिलाएं ही होती हैं। ‘द केरल स्टोरी’ इस त्रासद सच्चाई को सामने ले आती है। मानव तस्करी को लें तो आंकड़े बताते हैं कि इसके तहत 90 प्रतिशत महिलाएं इसकी चपेट में आई हैं। फिल्म के विवाद के दौरान गुजरात जैसे राज्य के अंदर औरतों के गायब होने की बात भी उजागर हुई है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 05 वर्ष में 41,621 महिलाएं वहां गायब हुई हैं। गुजरात पुलिस का दावा है कि उनमें से 39,497 को ‘ट्रेस’ कर लिया गया है। मतलब अब भी गायब हुई औरतों की संख्या 2,000 से अधिक है। कुल मिलाकर यह फिल्म महिलाओं के सशक्तिकरण के दावे की न सिर्फ पोल खोलती है बल्कि लव जिहाद, धर्मांतरण, आतंकवाद का नेटवर्क, जिसके द्वारा महिलाओं को अपना शिकार बनाया जाता है, आदि को सामने ले आती है। कौशल किशोर