हाईवे किलर मुन्ना सहित 12 लोगों को सजा-ए-मौत, कोर्ट ने कहा- इन्हें दो बार फांसी पर लटकाओ

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प्रकासमः हाईवे पर लॉरी चालकों और क्लीनरों की सामूहिक हत्या कर उनके वाहनों को लूटने के 13 साल पुराने मामले में आज जिला कोर्ट ने मुख्य आरोपित मुन्ना समेत 12 लोगों को फांसी और सात को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अपराध की बर्बरता को देखते हुए कोर्ट ने तीन आरोपितों को दो बार फांसी पर लटकाने को कहा है।

दरअसल, वर्ष 2008 में हाईवे पर लॉरी चालकों और क्लीनरों की हत्या कर उनके वाहनों को लूट ले जाने की लगातार घटनाओं से हड़कंप मचा गया था। तमिलनाडु के कल्पकम से रायपुर छत्तीसगढ़ की ओर जा रही लॉरी के साथ चालक और क्लीनर लापता हो गए। 17 अक्टूबर 2008 को लॉरी के मालिक वीरप्पन कुप्पुस्वामी ने जिला मुख्यालय ओंगोल पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस के जांच के दौरान पाया कि एक गिरोह ने इस अपराध को अंजाम दिया है। पुलिस ने मुख्य आरोपित सैयद अब्दुल समद उर्फ ​​मुन्ना को गिरफ्तार कर लिया। मुन्ना से पूछताछ के दौरान कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं। जांच में पता चला कि मुन्ना गिरोह पुलिस की वर्दी पहनकर और हाईवे पर आने वाले वाहनों को रोकते थे और गिरोह के सदस्य लॉरी में चालकों और क्लीनर को गाड़ी के दस्तावेज चेक करने के बहाने गले में रस्सी से गला घोंट कर बेरहमी से हत्या कर देते थे।

पुलिस के अनुसार इस तरह के चार मामले एक ही पुलिस थाना में दर्ज किए गए। पुलिस का अनुमान है कि साम मामले में 13 लोगों की हत्या हुई है। पुलिस ने इस मामले में 19 लोगों को आरोपी बनाया था। कोर्ट में साबित हुए मामलों में गिरोह ने सात ड्राइवर /क्लीनर की मौत का घाट उतारा। जांच में पता चला कि यह गिरोह ड्राइवर और क्लीनर की हत्या कर उनके शव का दफना देता था। प्रकासम जिले के मद्देपादु में इस गिरोह ने एक गोदाम को किराए पर लिया था और लूटे ट्रक के स्पेयर पार्ट्स को चेन्नई मार्केट में बेच देते थे। पुलिस के अनुसार मुख्य आरोपित मुन्ना जमानत मिलने के बाद देश छोड़कर भागने का प्रयास किया था। कुरनूल पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था। इस गिरोह पर 7 मामले दर्ज हुए थे, जिसमें तीन पर फैसला सुना दिया गया है। जिला मुख्यालय ओंगोल की जिला अदालत ने सभी को दोषी पाया और मुख्य आरोपित मुन्ना 12 लोगों को मौत और अन्य सात लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

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2008 में दर्ज हुए मामलों में 13 साल बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। न्यायाधीश ने अपराध की बर्बरता देख कर कहा कि तीन आरोपितों को दो बार फांसी दी जानी चाहिए।