Sunday, November 24, 2024
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अब क्यूआर कोड स्कैन कर मिलेगी प्रेग्नेंसी की पूरी जानकारी, शुरू हुई ये योजना

भोपालः क्यूआर कोड (QR code) को स्कैन करने पर गर्भावस्था के दौरान उच्च जोखिम वाली स्थितियों की पहचान और रोकथाम के उपायों की जानकारी मिल जाएगी। महिलाएं गर्भावस्था के दौरान पोषण, व्यायाम, आयरन फोलिक एसिड का सेवन आदि के बारे में भी आसानी से जानकारी प्राप्त कर सकेंगी। यह सुविधा विस्तारित प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत शुरू की गई।

प्रत्येक महीने चलेगा अभियान

जनसंपर्क अधिकारी अरुण शर्मा ने बताया कि ये क्यूआर कोड भोपाल सिविल अस्पताल, डॉ. कैलाशनाथ काटजू महिला चिकित्सालय और जिला चिकित्सालय जयप्रकाश में लगाए गए हैं। ओपीडी के पर्चों पर क्यू कोड स्टीकर भी चिपकाए गए हैं। जल्द ही जिले के अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में भी क्यूआर कोड लगाए जाएंगे। गर्भवती महिलाओं की जांच के लिए प्रत्येक माह की 9 एवं 25 तारीख को विस्तारित प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान चलाया जा रहा है।

मिलेगी हर जानकारी

जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पूनम श्रीवास्तव ने बताया कि क्यूआर कोड स्कैन कर गर्भवती महिलाएं खुद ही हाई रिस्क लक्षणों की जानकारी ले सकेंगी। गर्भवती महिलाएं और उनके परिवार के सदस्य गर्भवती महिलाओं में एनीमिया के लक्षण, एनीमिया के दुष्प्रभाव, एनीमिया से बचाव के उपाय, आयरन की गोलियों के फायदे, गर्भावस्था के दौरान मधुमेह और उच्च रक्तचाप, पौष्टिक आहार और सामान्य व्यायाम जैसी उपयोगी जानकारी जान सकेंगे।

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मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि यदि गर्भावस्था के दौरान एनीमिया, गर्भावस्था प्रेरित उच्च रक्तचाप, गर्भावस्था प्रेरित मधुमेह, ऑपरेशन द्वारा पूर्व प्रसव आदि जैसे लक्षण हों तो इसे उच्च जोखिम गर्भावस्था के रूप में चिह्नित किया जाता है। इन महिलाओं को विशेष चिकित्सा देखभाल और परामर्श सेवाएँ प्रदान की जाती हैं।

स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा की जाएगी जांच

शिविर में हीमोग्लोबिन, यूरिन एल्ब्यूमिन, शुगर, मलेरिया, टीबी, हेपेटाइटिस, ओरल ग्लूकोज टेस्ट, ब्लड ग्रुप, एचआईवी, सिफलिस की जांच विशेषज्ञ चिकित्सकीय परामर्श के साथ की जाती है। चिकित्सकीय सलाह के अनुसार सोनोग्राफी और थायराइड की जांच भी कराई जाती है। मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की समय पर पहचान आवश्यक है। ताकि इन गर्भवती महिलाओं को विशेष देखभाल एवं चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करायी जा सके। उच्च जोखिम वाली महिलाओं को न्यूनतम 4 परीक्षणों के साथ-साथ 3 अतिरिक्त परीक्षण दिए जाते हैं। जिनमें से कम से कम एक जांच स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा की जाती है।

 

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