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‘फिल्म सिटी’ की चाहत में मची होड़

 

लखनऊः अपने जिले में फिल्मों की शूटिंग हो, यह इच्छा तो हर किसी की होगी। इस इच्छा को पूरा करने के लिए तमाम लोग यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मनुहार कर रहे हैं। इनमें माननीय सबसे आगे हैं। फिल्म सिटी का मतलब ही हजारों लोगों को रोजगार मिलने से है। इसके साथ ही चमचमाती सड़कें, गगनचुंबी इमारतें, नैसर्गिक झील और झरने, पर्यटन, परिधान के अलावा दुनिया भर की कला संस्कृति एक ही जगह मिल जाती है। यही कारण है कि तमाम लोग अपनी ख्वाहिश लेकर सीएम से मिल चुके हैं। वह बता रहे हैं कि उनके जिले में जमीन कम नहीं है। पश्चिम यूपी के विधायक और सांसद इनमें आगे हैं।

अगर फिल्म सिटी का निर्माण बुंदेलखंड में हो तो इससे निश्चित ही बुंदेलखंड का विकास होगा। अवध क्षेत्र में बने तो अवध क्षे़त्र का विकास होगा। इसी तरह पश्चिम यूपी के लोग वहां का विकास चाह रहे हैं। यह बात सही है कि अगर फिल्म सिटी ग्रेटर नोएडा में बना तो इसका फायदा ज्यादा दिल्ली को होगा। कारण है कि दिल्ली देश की राजधानी है और यह ग्रेटर नोएडा के करीब है। फायदा दिल्ली को होगा ? इसका जवाब है कि जहां आकर्षक सीन होते हैं, वहां का दृश्यांकन ज्यादा होता है। इसके साथ ही चर्चित स्थल, बड़े होटल, ऐतिहासिक इमारतें दिल्ली में हैं। निर्माता और निर्देशक जब भी किसी स्थान को शूटिंग में शामिल करता है तो वह यह भी देखता है कि वहां उसे दर्शक बड़ी संख्या में मिलेंगे या नहीं। फैजाबाद के रुदौली में गदर फिल्म को दर्शाया गया है। इससे बाराबंकी और फैजाबाद के दर्शक भी ज्यादा मिले। इसका कारण था कि यहां की आबादी मुस्लिम है। यह फिल्म बनकर तैयार हुई तो खूब चली। दिल्ली ग्रेटर नोएडा से नजदीक है। यहां वह कलाकार जो हीरो और हिरोइन बनेगा, उनके ठहरने के लिए मनपसंद के होटल मिल जाएंगे। दिल्ली में ही तमाम उद्योगपति और मंत्री भी है। उनका ज्यादा समय दिल्ली में ही निकल जाएगा। इसलिए ग्रेटर नोएडा से ज्यादा फायदा दिल्ली को होगा।

लंबे समय तक होता रहेगा विकास

मेरठ और आगरा भी एनसीआर के करीब है। यहां अगर फिल्म सिटी बन जाती है तो ऐतिहासिक स्थान मिल रहे हैं, पर यहां रोजगार के अवसर कम हैं। कई सालों तक विकास का दौर चलेगा, तब जाकर यहां उद्योग स्थापित होंगे। ये उद्योग भी फिल्मों से ताल्लुक रखने वाले ही होंगे। इसीलिए लोग चाह रहे हैं कि इन जिलों में ही फिल्म सिटी बनाई जाए। यहां बड़े-बड़े होटल, स्वीमिंग पूल, निजी शूटिंग स्थल के अलावा तमाम तरह से रोजगार के अवसर पैदा होंगे और लंबे समय तक स्थापित रहेंगे।

ग्रेटर नेाएडा में फिल्म सिटी को लेकर जैसे ही बात शुरू हुई, वैसे ही हस्तिनापुर का भी नाम आने लगा। हस्तिनापुर क्षेत्र के वैभव को दोबारा स्थापित करने के लिए फिल्म निर्माताओं के साथ बैठक की गई। इसमें सीएम ने इस क्षेत्र की ऐतिहासिकता और पौराणिकता को सबके सामने रखा। इसके बाद से संकेत मिलने शुरू हुए कि हस्तिनापुर क्षेत्र को शूटिंग स्पॉट के रूप में विकसित करने पर भी विचार किया जा सकता है। कहा जा रहा है कि यमुना एक्सप्रेस-वे के किनारे एक हजार एकड़ में इसे बनाया जा सकता है। जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के आस-पास इलाकों का भी नाम यहां बैठक में लिया गया था।

हस्तिनापुर के लोगों ने जताई खुशी

हस्तिनापुर के विधायक दिनेश खटीक कहते हैं कि यूपी में फिल्म सिटी कहीं भी बने, हस्तिनापुर की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। यहां पर वन्य जीव अभयारण्य, खुले मैदान, पुराने टीले, मंदिर और ऐतिहासिक स्थल हैं। यह सब फिल्मों की पसंद होती हैं। उनका कहना है कि वह सरकार की पूरी मदद करेंगे। उनके क्षेत्र के लोग भी काफी खुश हैं। हस्तिनापुर में केंद्र सरकार पहले ही राष्ट्रीय संग्रहालय बनाने की घोषणा कर चुकी है। उन्होंने सीएम से हस्तिनापुर और फिल्म सिटी को लेकर चर्चा की थी। सीएम योगी ने फिल्म सिटी क्षेत्र को हस्तिनापुर का गौरवशाली क्षेत्र कहकर हम सबका सम्मान बढ़ाया है।

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पीलीभीत में उठी फिल्म सिटी की मांग

दूसरी ओर अभिनेता राजपाल यादव सीएम से मांग कर चुके हैं कि अगर फिल्म सिटी पीलीभीत और निकटवर्ती जिलों में बने तो इसका ज्यादा लाभ होगा। उनका तर्क है कि तमाम पहाड़ी और बड़ी नदियां यहां हैं। दृश्यांकन में आसानी होगी। उनका कहना है कि यहां का विकास केवल कागजों पर है। पास के जिलों के लिए फिल्म सिटी अवसर लेकर आएगा। इसके लिए वह हर तरह से मदद करने को तैयार हैं।