भोपाल : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज अपने निवास कार्यालय में स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर की पुण्यतिथि पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित की. इस मौके पर उन्होंने कहा कि मातृभूमि की आजादी के लिए वैचारिक ज्योति जलाने वाले राष्ट्रवाद के प्रणेता स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर को उनकी पुण्यतिथि पर मैं सादर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. ‘देश सेवा ही ईश्वर सेवा है’ के मंत्र के साथ आपने अपना संपूर्ण जीवन भारत माता की सेवा में समर्पित कर दिया।
इससे पहले अपने सोशल मीडिया अकाउंट ट्विटर पर ट्वीट करते हुए मुख्यमंत्री चौहान ने वीर सावरकर की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, काला पानी की कालकूट पीकर, खंभों को हिलाकर अनादि काल से लौट आया हूं और अब भी जिंदा हूं. ” मेरी मृत्यु मैं नहीं – सावरकर। भारत माता की सेवा में अपने जीवन का क्षण-क्षण समर्पित करने वाले आदरणीय वीर सावरकर जी की पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन। राष्ट्र सेवा को प्रथम कर्तव्य मानने वाले स्वातंत्र्यवीर कहा करते थे कि मातृभूमि के लिए जीने मरने में ही जीवन का अर्थ है। देश के सच्चे सपूत वीर सावरकर ने हमेशा राष्ट्र के उत्थान के लिए सोचा। भारत माता के प्रतापी सपूत को उनकी पुण्यतिथि पर शत शत नमन।
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बता दें कि विनायक दामोदर सावरकर एक महान क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी, इतिहासकार, राष्ट्रवादी नेता और विचारक थे। उनका जन्म 28 मई 1883 को महाराष्ट्र में नासिक के पास भागुर गांव में हुआ था। आर्थिक संकट के बावजूद विनायक सावरकर की उच्च शिक्षा की इच्छा पूरी हुई। उन्होंने अभिनव भारत सोसाइटी नामक एक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की। वीर सावरकर 6 बार अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए। नासिक प्रकरण में उन्हें कालापानी की सजा सुनाई गई थी और सेलुलर जेल भेज दिया गया था। सावरकर को 10 साल की लंबी जेल में यातनाएं झेलनी पड़ीं। 26 फरवरी 1966 को मुंबई में उनका निधन हो गया। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के महान क्रांतिकारियों में से एक, विद्वान, अधिवक्ता और लेखक विनायक दामोदर सावरकर का नाम बड़े गर्व और सम्मान के साथ लिया जाता है।
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