नई दिल्लीः वैसे तो हर दिन किसी न किसी कारण लोगों के जेहन में जिंदा रह सकता है, फिर भी कुछ तिथियां अलग हुआ करती हैं। इन्हीं में 26 मार्च भी शामिल है। भारतीय उपमहाद्वीप में यह दिन चिपको आंदोलन और बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम से जुड़े होने के कारण याद किया जायेगा।
चिपको आंदोलनः पेड़ से चिपक कर उन्हें बचाने के मकसद के बारे में सुनना आज सहज लग सकता है। इसके विपरीत अभी 50 साल पहले तक ऐसा करना अपनी जान को जोखिम में डालना था। मुख्य रूप से वर्ष 1972 से 1974 तक तत्कालीन संयुक्त उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखंड) में चला यह आंदोलन आज ही के दिन शुरू हुआ। चमोली के गोपेश्वर में पेड़ों पर चलती आरियों को कुछ महिलाओं ने यह कहकर रोका कि ये हमारे परिवार की तरह हैं। ठेकेदार नहीं माने तो ये महिलाएं सचमुच इन पेड़ों से अपने बच्चों की तरह लिपट गयीं। गौरा देवी और दूसरी महिलाओं के शुरू किए इस आंदोलन को प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा ने आगे बढ़ाया। इस आंदोलन का ही परिणाम था कि इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहते 1980 में वन संरक्षण अधिनियम बना।
बांग्लादेश के अलग होने की घोषणाः भारत विभाजन के बाद पूर्वी बंगाल का पाकिस्तान में जाना, उसको पूर्वी पाकिस्तान नाम देना और वहां के लोगों से पाकिस्तान सरकार के भेदभाव की कहानी लंबी है। जहां तक 26 मार्च की बात है, भाषायी-जातीय और यहां तक कि मानवीय भेदभाव से आजिज लोगों के संघर्ष के नेता बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान ने 1971 में इसी तिथि को अलग बांग्लादेश राष्ट्र की घोषणा कर दी। पाकिस्तानी सेना का वहां के लोगों पर दमन और बढ़ चला। करीब 10 लाख बांग्लादेशी भारत में शरणार्थी बने। भारत की सीमाओं पर तनाव बढ़ा और फिर भारतीय सेनाओं की कारर्वाई में पाकिस्तान के करीब 93 हजार सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
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अन्य प्रमुख घटनाएंः
922: ईरानी सूफी संत और कवि मंसूर अल-हल्लाज का निधन।
1907: कवयित्री महादेवी वर्मा का जन्म।
1953 : पोलियो से बचाव के लिए डॉ. जोनास साल्क के खोजे नए टीके की घोषणा।
1973 : गूगल के सह-संस्थापक और कंप्यूटर वैज्ञानिक लैरी पेज का जन्म।
1973: लंदन स्टॉक एक्सचेंज में महिलाओं की भर्ती की शुरुआत।
1975: जैविक हथियार संधि पर हस्ताक्षर।
1979: अमेरिका में मिस्र-इजराइल समझौते पर दस्तखत।