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कारगिल वार में दुश्मनों के छक्के छुड़ाने वाला चीता हेलीकॉप्टर क्रैश, पायलट की मौत

नई दिल्लीः जम्मू-कश्मीर के गुरेज सेक्टर में शुक्रवार को दुर्घटनाग्रस्त आर्मी एविएशन के चीता हेलीकॉप्टर के पायलट की मौत हो गई है जबकि सह-पायलट गंभीर रूप से घायल है। यह हादसा उस समय हुआ जब यह हेलीकॉप्टर सैनिकों को लेने के लिए जा रहा था। इस दुर्घटना से जुड़ी विस्तृत जानकारी अभी नहीं मिल पाई हैं और अस्पताल में भर्ती सह पायलट की हालत गंभीर है।

अधिकारियों ने बताया कि उत्तरी कश्मीर के बांदीपुरा जिले में गुरेज सेक्टर में गुजरां नाले के पास भारतीय सेना के आर्मी एविएशन का चीता हेलीकॉप्टर आज दोपहर नियमित उड़ान पर था। हेलीकॉप्टर उतरने ही वाला था, लेकिन मौसम खराब होने की वजह से उसने नियंत्रण खो दिया और इसी दौरान उसका एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क टूट गया। बाद में हेलीकॉप्टर के गुरेज के तुलैल इलाके में दुर्घटनाग्रस्त होने की सूचना मिली। इस पर सुरक्षाबलों ने रेस्क्यू ऑपरेशन करने की तैयारी शुरू कर दी और कुछ ही देर में भारतीय सेना ने तुरंत गुजरां नाला इलाके में बचाव दल को रवाना किया। इसके साथ ही वायुसेना के हवाई टोही दल को चालक दल को खोजने के अभियान में लगाया गया।

अधिकारियों के मुताबिक इस इलाके में इस समय भारी बर्फबारी हो रही है। पैदल और हेलीकॉप्टर से हादसे वाली जगह पर पहुंचने की कोशिश की गई। रेस्क्यू टीम बर्फीले इलाके में पहुंच गई। उसे खोजबीन के दौरान गुरेज के तुलैल इलाके में चीता हेलीकॉप्टर के पायलट का पार्थिव शरीर मिला जबकि सह-पायलट को गंभीर रूप से घायल अवस्था में पाया गया। सह-पायलट को एक चिकित्सा केन्द्र ले जाया गया है।

सूत्रों के मुताबिक यह हादसा उस समय हुआ जब यह हेलीकॉप्टर सैनिकों को लेने के लिए जा रहा था। रक्षा अधिकारियों ने बताया कि इस दुर्घटना से जुड़ी विस्तृत जानकारी अभी नहीं मिल पाई है और अस्पताल में भर्ती सह पायलट की हालत गंभीर है।

इससे पहले सितम्बर, 2021 में जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले के शिवगढ़ धार इलाके में आर्मी एविएशन का चीता हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ था जिसमें गंभीर रूप से घायल हुए दोनों पायलट की मौत हो गई थी। रेस्क्यू ऑपरेशन में बचाकर अस्पताल भेजे गए दोनों पायलट बोलने की हालत में नहीं थे। चीता एक इंजन वाला हेलीकॉप्टर है, जिसमें मूविंग मैप डिस्प्ले, ग्राउंड प्रॉक्सिमिटी वार्निंग सिस्टम और वेदर रडार जैसी प्रमुख विशेषताएं नहीं हैं। इसमें ऑटोपायलट सिस्टम भी नहीं है, जो खराब मौसम में पायलट को भटका सकता है। सेना के पास 200 चीता हेलीकॉप्टरों का बेड़ा है। पिछले कुछ वर्षों में 30 से अधिक दुर्घटनाएं हुई हैं, जिसमें 40 से अधिक अधिकारी मारे गए हैं।

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वायुसेना के बेड़े से चीता हेलीकॉप्टरों की विदाई का रास्ता साफ हो चुका है क्योंकि सरकार ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को 12 स्वदेशी लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (एलयूएच) का पहला ऑर्डर दे दिया है, जिसमें क्रमशः छह-छह हेलीकॉप्टर सेना और वायुसेना को मिलेंगे। कुल 187 हेलीकॉप्टरों का उत्पादन होना है। इनमें 126 हेलीकॉप्टर भारतीय सेना को और 61 हेलीकॉप्टर वायुसेना को मिलेंगे। इसके साथ ही अब तक वायुसेना के कई मोर्चों में शामिल रहे चीता हेलीकॉप्टर की 40 साल बाद विदाई करके उनकी जगह जंगी बेड़े में स्वदेशी एलयूएच को शामिल करने का रास्ता साफ हो गया है। वायुसेना की फ्लाइट लेफ़्टिनेंट गुंजन सक्सेना ने इसी चीता हेलीकॉप्टर से कारगिल वार में पाकिस्तानियों के छक्के छुड़ाए थे।

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