देश Featured क्राइम

रोशनी एक्ट मामले में सीबीआई का बड़ा खुलासा, वन विभाग की जमीन भी नहीं छोड़ी

 

जम्मूः रोशनी एक्ट भूमि घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने एक और बड़ा खुलासा किया है। इस अधिनियम को लागू करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने भी सुजवां में करोड़ों की लागत से आलिशान बंगला वन विभाग की सरकारी भूमि पर कब्जा करके बनाया है। उनकी बहन सुरैया मट्टु ने भी रोशनी एक्ट का लाभ उठाते हुए 3 कनाल 12 मरले भूमि अपने नाम की है। इस एक्ट के तहत भूमि अपने नाम करने के लिए सरकारी खजाने में उन्हें एक करोड़ रुपये जमा करवाने थे, लेकिन आज तक जमा नहीं किए गए हैं। इतना ही नहीं नेशनल कांफ्रेंस का जम्मू स्थित कार्यालय व श्रीनगर में स्थित ट्रस्ट का कार्यालय भी डॉ. अब्दुल्ला ने रोशनी एक्ट का लाभ उठाते हुए अपने नाम किया है।

इस रोशनी एक्ट के तहत बड़े-बड़े नेताओं, अफसरशाहों, उनके परिवार व रिश्तेदारों ने जो भूमि घोटाले किए हैं, उनका हर दिन सीबीआई खुलासा कर रही है। इन रिपोर्ट को देखकर यह स्पष्ट हो रहा है कि आम लोगों का हवाला देकर सरकारी योजनाओं को लागू करने वाले राजनीतिक दल अपने लाभ को अधिक तरजीह देते हैं। डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने वर्ष 2001 में जम्मू-कश्मीर के गरीब किसानों का हवाला देकर इस एक्ट को लागू किया था। इस एक्ट में कहा गया था कि जिस सरकारी भूमि पर किसान कई साल से खेती-बाड़ी कर रहे हैं, उसे वे अपने नाम करवा सकते हैं।

अब सीबीआई की जांच में खुलासा हो रहा है कि डॉ. फारूक अब्दुल्ला सहित नेशनल कांग्रेस, पीडीपी, कांग्रेस के बड़े-बड़े नेताओं, व्यापारियों, व्यवसायियों व अफसरशाही ने इस अधिनियम के नाम पर करोड़ों रुपये की संपत्ति अर्जित की। इस बहती गंगा में दूसरे राजनीतिक दलों ने भी घोटाला उजागर करने के बजाय हाथ धोना सही समझा। डॉ. फारूक अब्दुल्ला की इस योजना का सभी ने फायदा उठाया और हजारों रुपये जमा करके करोड़ों रुपये मूल्य की सरकारी भूमि अपने व अपने रिश्तेदारों के नाम कर ली।

यह भी पढे़ंः-अक्षय ने भूमि पेडनेकर की फिल्म ‘दुर्गामती’ का शेयर किया टीजर, कल आएगा ट्रेलर

सीबीआई की जांच में अभी और खुलासे होना बाकी है। अभी तक की जांच में जो खुलासे हुए हैं, उनसे लगता है कि करोड़ों रुपये की सरकारी जमीन हड़पने के अलावा इस योजना का मुख्य उद्देश्य जम्मू में डैमोग्राफिक स्थिति बदलना भी था जिसे बड़े ही सलीके व तरीके से बदला गया है। हाईकोर्ट ने इस एक्ट के तहत सभी प्रकार के आवंटन को रद्द करते हुए इसकी जांच सीबीआई को सौंपी है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने इस एक्ट के तहत हुए सभी प्रकार के आवंटन रद्द करके लाभार्थियों को 6 माह के भीतर जमीन खाली करवाने के निर्देश दिए हैं। प्रशासन ने सभी जिलों में इस एक्ट तहत हड़पी गई जमीन को खाली करवाने की कार्रवाई शुरू कर दी है।