लखनऊः केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 2012 और 2014 के बीच अवैध खनन के मामले में लखनऊ और कौशांबी में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी सत्येंद्र सिंह और नौ अन्य लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की। सीबीआई ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कौशांबी के तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट और नौ अन्य लोगों के खिलाफ बेईमानी, चोरी और आपराधिक साजिश का मामला भी दर्ज किया है। सीबीआई अधिकारियों ने कहा कि सिंह पर दो नए पट्टों को देने और नौ मौजूदा पट्टों का नवीनीकरण करने का आरोप लगाया गया है, जोकि कौशांबी में अवैध खनन से जुड़ा है। सिंह ने ई-टेंडरिंग प्रक्रिया का पालन नहीं किया, जैसा कि मई 2012 के आदेशों में बताया गया है।
सीबीआई के सूत्रों ने कहा कि लखनऊ और कौशांबी में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी के ठिकानों पर छापे के दौरान कई दस्तावेज बरामद किए गए हैं। उन्होंने कहा कि लखनऊ, कानपुर, गाजियाबाद और नई दिल्ली में सिंह के ठिकानों से 44 अचल संपत्तियां, 10 लाख रुपये नकद और 51 लाख रुपये की सावधि जमा (फिक्सड डिपॉजिट) से संबंधित दस्तावेज मिले हैं। सिंह और उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर लगभग 36 बैंक खातों का भी पता चला है। इसके अलावा छह लॉकरों की चाबी मिली, जिसमें 2.1 करोड़ रुपये के सोने और चांदी के आभूषण और एक लाख रुपये की पुराने नोट पाए गए। सिंह के अलावा सीबीआई ने जिन अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दायर किया है, उनमें नेपाली निषाद, नर नारायण मिश्रा, रमाकांत द्विवेदी, खेमराज सिंह, राम प्रताप सिंह, मुन्नी लाल, शिव प्रकाश सिंह, राम अभिलाष और योगेंद्र सिंह शामिल हैं।
यह भी पढ़ें-वैक्सीन की चाह, आधी दुनिया और मोदी सरकार
इससे पहले, जून 2017 में सीबीआई ने 2015-16 में अवैध खनन के मामले में कौशांबी में सहायक भूविज्ञानी (जियोलॉजिस्ट) अरविंद कुमार सहित 10 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। अवैध खनन के मामलों में कार्रवाई इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा जुलाई 2016 में एक जनहित याचिका (पीआईएल) याचिका पर संज्ञान लेने के बाद शुरू हुई और राज्य में अवैध खनन और प्राकृतिक संसाधनों की लूट की सीबीआई जांच के निर्देश जारी किए। अदालत के आदेश पर कार्रवाई करते हुए सीबीआई की दिल्ली इकाई के विशेष अपराध प्रभाग (3) ने सात जिलों – शामली, हमीरपुर, फतेहपुर, सिद्धार्थनगर, देवरिया, कौशांबी और सहारनपुर को जांच के लिए चुना।