नई दिल्लीः देश के सशस्त्र बलों के इतिहास में पहली बार रक्षा मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव और संयुक्त सचिव जैसे पद सृजित करके नियुक्तियां की गईं हैं। तीनों सेनाओं में रक्षा सुधारों के लिए बनाये गए डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स (डीएमए) ने कई और ऐसी सिफारिशें की हैं, जिनसे आगे आने वाले समय में सशस्त्र बलों में बदलाव दिखेंगे। सैन्य बलों के प्रमुख (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत को डीएमए का सचिव बनाया गया है और उन्हीं की निगरानी में सेनाओं के पुनर्गठन किये जाने की प्रक्रिया चल रही है।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार सेनाओं का पुनर्गठन किये जाने के ऐतिहासिक कदम में सेना, वायु सेना और नौसेना के वर्दीधारी कर्मियों को पहली बार औपचारिक रूप से रक्षा मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव और संयुक्त सचिव के रूप में नियुक्त किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (एसीसी) की बैठक में यह फैसले लिए गए थे। सैन्य बलों के प्रमुख (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत को सैन्य मामलों के विभाग डीएमए का सचिव बनाये जाने के बाद अब लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी को डीएमए में अतिरिक्त सचिव नियुक्त किया गया है। मेजर जनरल केके नारायणन, रियर एडमिरल कपिल मोहन धीर और एयर वाइस मार्शल हरदीप बैंस को डीएमए में संयुक्त सचिव के रूप में नियुक्त किया गया है।
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी पहले से ही अतिरिक्त सचिव और अन्य तीन अधिकारियों के संयुक्त सचिव के हिस्से का कार्य देख रहे थे। अब औपचारिक नियुक्तियां होने के साथ ही इन अधिकारियों को निर्णय लेने के अधिकार भी दिए गए हैं जिससे कार्यों को सुव्यवस्थित करने में आसानी होगी। रक्षा मंत्रालय में इन नियुक्तियों का महत्वपूर्ण कदम के रूप में स्वागत किया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि अब तक सभी फाइलों को फैसलों के लिए डीएमए के सचिव सीडीएस जनरल बिपिन रावत को भेजना पड़ता था लेकिन अब प्रत्येक अधिकारी अपने अधिकारों के तहत फाइलों का निपटान कर सकेंगे। इस प्रक्रिया से सशस्त्र बलों में कार्यप्रणाली सुचारू बनेगी, इसलिए इसे देश के लिए ’ऐतिहासिक क्षण’ कहा जा सकता है।
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सीडीएस की अध्यक्षता में डीएमए सेना, नौसेना और वायु सेना के मामलों की देखभाल करेगा, लेकिन इससे तीनों सेनाओं के परिचालन नियंत्रण पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि यह अधिकार संबंधित सेना प्रमुखों के पास रहेंगे। डीएमए के पास प्रचलित नियमों और प्रक्रियाओं के अनुसार तीनों सेनाओं के लिए खरीद के मामले देखने के भी अधिकार रहेंगे। पूंजी अधिग्रहण को छोड़कर प्रादेशिक सेना और सेवाओं से संबंधित विभिन्न कार्यों के अलावा इसके अधिदेश में खरीद, प्रशिक्षण और स्टाफिंग में ‘संयुक्तता’ को बढ़ावा देना शामिल है। तीनों सेनाओं का तालमेल के साथ संचालन करने, संसाधनों का इस्तेमाल करने के लिए सैन्य आदेशों के पुनर्गठन की भी डीएमए पर जिम्मेदारी होगी। इसमें स्वदेशी उपकरणों के उपयोग को बढ़ावा देने के अलावा संयुक्त थिएटर कमांड की स्थापना भी शामिल है।