Wednesday, January 22, 2025
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Homeराजनीतिपार्टी के लिए सिर दर्द बने रहे राजीव-सब्यसाची को बहिष्कृत रखेगी भाजपा

पार्टी के लिए सिर दर्द बने रहे राजीव-सब्यसाची को बहिष्कृत रखेगी भाजपा

कोलकाता: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की करारी शिकस्त के बाद तृणमूल छोड़कर भाजपा में आए नेताओं के सुर भी बिगड़ रहे हैं। ममता के पूर्व सहयोगी मुकुल रॉय की भाजपा छोड़कर तृणमूल में वापसी के बाद अब भाजपा में आए राजीव बनर्जी, सब्यसाची दत्त जैसे नेताओं के तेवर बागी हैं। ऐसे में सिर दर्द बने इन नेताओं के लिए भाजपा ने एक रणनीति अपनाई। पार्टी ने इन दोनों को बहिष्कृत करने का निर्णय लिया है।

तृणमूल को छोड़कर भाजपा में आने वाले राजीव और सब्यसाची वैसे तो सरेआम तृणमूल में लौटने की बातें तो नहीं कर रहे हैं, लेकिन अपने बयानों से भाजपा की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। पार्टी सूत्रों ने बताया है कि इनके तेवरों को देखते हुए दोनों को न तो किसी भी कार्यक्रम में इन्हें आमंत्रित नहीं किया जाएगा और ना ही किसी संगठन की बैठक अथवा रणनीति में इनसे किसी तरह की कोई सलाह ली जाएगी। किसी भी तरह के आंदोलन अथवा कार्यकर्ताओं की समस्याओं को लेकर भी इनसे संपर्क नहीं किया जाएगा। पार्टी में रहते हुए भी इन्हें अलग-थलग करने की रणनीति बनाई गई है ताकि इन्हें इस बात का भ्रम न रहे कि उनके रहने अथवा जाने से भाजपा को कोई फर्क पड़ने वाला है।

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि बंगाल चुनाव में अगर हमारी जीत होती तो सोने पर सुहागा था। नहीं भी हुई तो भी हमने कुछ नहीं खोया है। देश में सबसे अधिक राज्यों में हमारी सरकार है। भाजपा के सामने तृणमूल कांग्रेस की राजनीतिक हैसियत नगण्य है। ऐसे में तृणमूल से आए हुए इन नेताओं को अधिक अहमियत देने का कोई औचित्य ही नहीं है। इनमें से अधिकतर ऐसे नेता हैं। जो अपने अपने विधानसभा क्षेत्र में चुनाव हार गए। यानि इनका व्यक्तिगत कोई आधार नहीं है। इसीलिए इन्हें पार्टी अहमियत तो देगी ही नहीं। साथ ही इनके बयानों और गतिविधियों पर भी निगरानी रहेगी। जिस दिन पार्टी को लगेगा कि इनकी करनी अथवा बयानों की वजह से नुकसान हो रहा है, इन्हें पार्टी से निकाल दिया जाएगा।

उक्त नेता ने बताया कि तृणमूल कांग्रेस में रहने वाले सभी नेता एक नायकवाद के प्रति समर्पण सीख चुके हैं। भाजपा जैसी बड़ी पार्टी में संवैधानिक रीति नीति को मानकर पार्टी लाइन पर चलना स्वार्थी नेताओं के बस की बात नहीं है। इसीलिए इन नेताओं का पार्टी में टिकना भी मुश्किल है।

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भाजपा में विश्वस्त नहीं बन सके थे मुकुल

नेता ने बताया कि जब मुकुल रॉय 2017 में भाजपा में आए थे। तब से लेकर जब तक वह पार्टी में रहे, उन्होंने अपनी ओर से भरपूर कोशिश की कि उन्हें संगठन में काफी अहमियत मिले। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। भाजपा अनुशासित और संगठन आधारित पार्टी है। यहां क्षेत्रीय पार्टियों से आने वाले नेताओं के आने जाने से कोई अंतर नहीं पड़ने वाला है। लोकतांत्रिक प्रक्रिया में एक पार्टी के तौर पर विपक्ष के रूप में हम अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाएंगे। हमें कम सीटें मिली या ज्यादा, यह अब आई गई बात हो गई है। अपनी सांगठनिक क्षमता के जरिए राज्य में लोगों की आवाज को मुखर तरीके से उठाना हमारी पहली प्राथमिकता है और इन नेताओं के रहने अथवा जाने के बारे में कोई चिंता नहीं है।

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