गुवाहाटीः कांग्रेस पार्टी नेता राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता रद्द करने के मामले में प्रतिक्रिया देते हुए असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) के अध्यक्ष भूपेन कुमार बोरा ने कहा कि गुजरात की एक निचली कोर्ट ने एक मानहानि केस में राहुल गांधी को सजा सुनाई है। इसके फैसले के विरुद्ध हाई कोर्ट में आवेदन करने के लिए 30 दिन का समय है, ऐसे में एक दिन के बाद ही हड़बड़ी में राहुल गांधी की लोकसभा से सदस्यता रद्द कर भाजपा ने असहनशीलता का जो परिचय दिया है, उसकी हम कड़े शब्दों में निंदा करते हैं।
प्रदेश अध्यक्ष बोरा ने कहाकि राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रिय पूंजीपति अडानी की व्यापारिक अनियमितताओं की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन की मांग कर रहे हैं। इसके लिए सदन के अंदर और बाहर आवाज उठाने और स्टेट बैंक व एलआईसी आदि को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते हुए भाजपा की आलोचना करने के लिए राहुल गांधी से राजनीतिक रूप से बदलना लेने के लिए भाजपा ने यह कदम उठाया है। बोरा ने राहुल गांधी को कानूनी लड़ाई की प्रक्रिया शुरू करने का मौका दिए बिना इस तरह का शर्मनाक निर्णय को लेने के लिए भाजपा को घेरा। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्व सरमा और प्रधानमंत्री के बयानों को भी हवाला दिया।
बोरा ने कहा कि “भारत जोड़ो यात्रा” के दौरान राहुल गांधी के समर्थन में 28 छोटे-बड़े राजनीतिक दल सड़कों पर उतरे, इससे भाजपा चिंतित थी। इसीलिए भाजपा राहुल गांधी को रोकने के लिए नई साजिश रच रही है, क्योंकि भाजपा जानती है कि देश के वैकल्पिक नेता राहुल गांधी हैं। इसलिए राहुल गांधी को कानूनी बदले की भावना से उनकी लोकसभा की सदस्यता रद्द की गई है ताकि वह संसद में भाजपा से सवाल न कर सकें। बोरा ने कहा कि हम राहुल की उस लड़ाई को जन-जन तक पहुंचाएंगे और देश के संविधान के खिलाफ निरंकुश सत्तारूढ़ भाजपा पार्टी को देश की सत्ता से बेदखल करने के लिए एक व्यापक जन आंदोलन खड़ा करेंगे।
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