लखनऊः लोकसभा चुनाव की तैयारियों में BJP पूरी ताकत से जुटी हुई है। खासकर उन सीटों पर जहां बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही वहां पर भी विशेष मंथन किया जा रहा है, जहां हार-जीत का अंतर 20 हजार से कम था। रामपुर और आज़मगढ़ लोकसभा क्षेत्र वो हैं जहां 2019 के चुनाव में हार के बावजूद उपचुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की थी।
रणनीति बनाने में जुटा संगठन
कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश में 24 लोकसभा सीटें हैं, जहां बीजेपी को कड़ी मेहनत करने की जरूरत है। 14 हारी हुई सीटों के अलावा 10 ऐसी सीटें भी हैं जहां हार-जीत का अंतर 20 हजार से कम था। 2019 में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 62 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसके साथ ही उसकी सहयोगी पार्टी अपना दल एस ने दो सीटों पर जीत हासिल की थी।
कांग्रेस की सोनिया गांधी ने रायबरेली से एक सीट जीती थी। जबकि बसपा ने दस और सपा ने पांच सीटों पर जीत हासिल की थी। इसके बाद लोकसभा की तीन जगहों पर उपचुनाव हुए। रामपुर में आजमखान की सासंदी जाने के बाद हुए उप चुनाव में भाजपा के घनश्याम लोधी ने सपा के आसिम रजा को 42 हजार मतों से हरा दिया। अखिलेश यादव की सीट आज़मगढ़ में हुए उपचुनाव में दिनेश यादव उर्फ निरहुआ ने सपा के धर्मेंद्र यादव को 8679 वोटों के अंतर से हरा दिया।
समाजवादी पार्टी की पारंपरिक सीट मैनपुरी से 2019 के लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने बीजेपी के प्रेम सिंह शाक्य को 94,389 वोटों से हराया। उनके निधन के बाद डिंपल यादव ने उस सीट पर कब्ज़ा किया और वह जीतने में कामयाब रहीं। इसके अलावा अगर आजगढ़ के उपचुनाव को भी जोड़ लें तो राज्य की 10 सीटें ऐसी थीं, जहां जीत-हार का अंतर 20 हजार से कम था। उन सीटों पर भी बीजेपी संगठन खास रणनीति बनाने में जुटा है। हालांकि, बीजेपी यह भी मान रही है कि कम अंतर की वजह एसपी-बीएसपी का गठबंधन है।
कितने अंतर से किसको मिली हार
पूरे प्रदेश में सबसे कम जीत-हार का अंतर मछलीशहर में रहा, जहां बीजेपी के बीपी सरोज ने बीएसपी के त्रिभुवन राम को महज 181 वोटों से हराया। वहीं बीजेपी के बीपी सरोज को 4,88,397 वोट मिले। जबकि बसपा के त्रिभुवन राम को 488216 मिले। वहीं मुजफ्फरनगर से बीजेपी नेता संजीव बालियान ने आरएलडी के अजित सिंह को 6526 वोटों से हराया। मेरठ से भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र अग्रवाल ने बसपा प्रत्याशी हाजी मोहम्मद को हराया। याकूब को 4729 वोटों से हार मिली। बंदायू से बीजेपी नेता और स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य ने सपा के धर्मेंद्र यादव को 18454 वोटों से हराया।
सुल्तानपुर से मेनका गांधी की जीत का अंतर भी कम रहा। उन्होंने बसपा के चंद्रभद्र सिंह को 14,526 वोटों से हराया। कन्नौज से बीजेपी के सुब्रत पाठक ने एसपी की डिंपल यादव को 12353 वोटों से हराया, जबकि श्रावस्ती से बीएसपी के राम शिरोमणि वर्मा ने बीजेपी के दद्दन मिश्रा को 5320 वोटों से हराया, जबकि बलिया से बीजेपी के वीरेंद्र सिंह मस्त ने एसपी के सनातन पांडे को हराया। महज 15519 वोटों से जीते। चंदौली से महेंद्र पांडे की जीत का अंतर भी कम रहा। उन्होंने सपा के संजय चौहान को 13959 वोटों से हराया।
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इसके अलावा 14 सीटें ऐसी हैं जहां बीजेपी के सांसद नहीं हैं। बीजेपी को सहारनपुर में 22,417 वोटों से, बिजनौर में 69941 वोटों से, नगीना में 166,832 वोटों से और मुरादाबाद में 98,122 वोटों से हार का सामना करना पड़ा। संभल से सपा के शफीकुर रहमान ने बीजेपी के परमेश्वर लाल सैनी को 1,74,826 वोटों से हराया।
अमरोहा से बीजेपी 63,248 वोटों से जीती, मैनपुरी से 94,389 वोटों से जीती, रायबरेली से 1,67,178 वोटों से जीती, अंबेडकर नगर से बीजेपी 95,880 वोटों से जीती, श्रावस्ती से बीजेपी 5,320 वोटों से जीती, लालगंज से बीजेपी 1,61,597 वोटों से जीती घोसी 1 से बीजेपी को 22,568 वोटों से, जौनपुर से बीजेपी को 80,936 वोटों से हार का सामना करना पड़ा और गाजीपुर से बीजेपी को 1,19,392 वोटों से हार का सामना करना पड़ा।
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