हरियाणा

पूर्व सीएम बोले- सरकार की अनदेखी से टूटी किसानों की कमर

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चंडीगढ़ः हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने बारिश के कारण मंडियों में अव्यवस्था को लेकर शनिवार को सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार की लापरवाही ने एक बार फिर किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। बार-बार मांग करने के बावजूद सरकार ने न तो मंडियों में सुचारु खरीद की और न ही फसलों को बारिश से बचाने के लिए तिरपाल और बारदाने की व्यवस्था की।

फिर उजागर हुई हकीकत

शनिवार को जारी बयान में हुड्डा ने कहा कि किसान कई दिनों से अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं और सरकार पोर्टल के साथ छेड़छाड़ कर रही है। मंडियों में नियमित खरीद व उठान की कोई व्यवस्था नहीं थी। उठाव नहीं होने के कारण किसानों को भुगतान नहीं हो पा रहा है। 72 घंटे के अंदर भुगतान का दावा करने वाली सरकार की हकीकत एक बार फिर उजागर हो गई है।

उन्होंने कहा कि मंडी में काम करने वाले व्यापारियों का कहना है कि गेहूं उठान की टेंडर व्यवस्था लगभग फेल हो गयी है। जिन ट्रांसपोर्टरों को टेंडर दिया गया है उनके पास पर्याप्त संख्या में गाड़ियां नहीं हैं। इसलिए, कमीशन एजेंटों को फसल उठवाने के लिए ट्रांसपोर्टरों को रिश्वत देने के लिए मजबूर होना पड़ता है। सरकार ने किसानों और आढ़तियों ही नहीं, मजदूरों की मजदूरी दरों में भी भारी कटौती कर उन्हें बड़ा झटका दिया है।

मुआवजे की मांग

हुड्डा ने कहा कि मौसम विभाग की पूर्व चेतावनी के बावजूद सरकार आंखें मूंदकर सोती रही। उठान न होने से मंडियां अनाज से पट गई हैं। मजबूरी में किसान अपना गेहूं सड़कों पर फेंकने को मजबूर हैं। इसलिए 6 महीने तक दिन-रात की मेहनत से तैयार की गई किसान की फसल खुले आसमान के नीचे पड़ी है और बार-बार भीग रही है। भारी मात्रा में गेहूं पानी के साथ बह गया है। किसानों को हुए नुकसान के लिए सीधे तौर पर भाजपा सरकार जिम्मेदार है।

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भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने भुगतान में देरी पर किसानों को ब्याज देने की मांग उठाई है। उन्होंने दोहराया कि सरकार को पोर्टल का झंझट खत्म कर शीघ्र उठान व भुगतान करना चाहिए ताकि किसान अगले सीजन की तैयारी कर सकें। साथ ही जिन किसानों को बारिश के कारण नुकसान हुआ है उन्हें सरकार की ओर से मुआवजा दिया जाना चाहिए। किसानों की परेशानी कम करने के लिए नमी छूट की सीमा भी बढ़ाई जानी चाहिए।

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