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भाई पर आठ बार ट्रैक्टर चढ़ाकर मौत के घाट उतारने वाला खो बैठा दिमागी संतुलन, जानें पूरी घटना

 

भरतपुरः भाई की ट्रैक्टर (Tractor) से कुचलकर हत्या करने के सनसनीखेज मामले में विवाद की असली कहानी सामने आ गई है। जिले की बयाना तहसील के अड्डा गांव के अतर सिंह और बहादुर सिंह के परिवारों के बीच पहले से ही कुछ दुश्मनी थी, लेकिन 20 अक्टूबर को हुए एक मामूली झगड़े ने इस आग में घी डालने का काम किया।

पूछताछ में पता चला कि हत्या से पांच दिन पहले दोनों परिवारों के बीच खेत की मेड़ उखाड़ने को लेकर झगड़ा हुआ था। बहादुर सिंह पक्ष के लोगों ने अतर सिंह के परिवार को पीटा था। इससे बदले की आग में जल रहा दामोदर इस कदर पागल हो गया कि उसने अपने ही भाई को ट्रैक्टर से कुचल दिया।

20 अक्टूबर से हुई थी विवाद की शुरुआत

अड्डा गांव के बहादुर सिंह और अतर सिंह के घर महज 100 मीटर की दूरी पर हैं लेकिन उनके रास्ते में सरकारी स्कूल है। यह स्कूल अतर सिंह के घर के पास है। अतर सिंह ने सड़क के बगल में अपने मकान की जमीन पर बाड़ लगा रखी है। बहादुर सिंह के परिवार को अपने खेत तक जाने के लिए इसी रास्ते से गुजरना पड़ता है। 20 अक्टूबर की शाम करीब पांच बजे बहादुर सिंह का बड़ा बेटा दिनेश ट्रैक्टर लेकर अपने खेतों पर जा रहा था। तभी उसके ट्रैक्टर के पीछे लगा हल अतर सिंह के घर के बगल में लगी फेंसिंग में फंस गया। जिससे तार को सहारा देने वाला लोहे का एंगल उखड़ गया। जब अतर सिंह के परिवार ने यह देखा तो उन्होंने विरोध किया। इसके बाद अतर सिंह के बेटे विनोद और बहादुर सिंह के बेटे दिनेश के बीच विवाद हो गया। लेकिन कुछ देर बाद मामला शांत हो गया और दिनेश अपना ट्रैक्टर लेकर खेत पर चला गया। दोपहर साढ़े तीन बजे से रात आठ बजे के बीच दोनों पक्ष एक बार फिर उसी विवाद को लेकर भिड़ गये। अब मामला थाने तक पहुंच गया। दोनों पक्षों ने बयाना के सदर थाने में मामला दर्ज कराया।

बहादुर के बड़े बेटे दिनेश ने प्राथमिकी दर्ज करवाते हुए पुलिस को बताया कि 20 अक्टूबर शाम साढे सात बजे अतर सिंह और उनके तीन बेटे निरपत सिंह, विनोद सिंह, दामोदर सिंह के साथ उनका रिश्तेदार ब्रजराज निवासी धौलपुर हाथों में लाठी, डंडे, धारदार हथियार और कट्टा लेकर हमारे घर में घुस आए। आते ही ब्रजराज ने फायर किया। तभी दिनेश का चाचा जनक बाहर आया। निरपत ने जनक के सिर पर फरसा मारा। जनक को बचाने के लिए आए दिनेश के पिता बहादुर पर भी लाठियों से हमला कर दिया। विनोद ट्रैक्टर पर बैठा था। उसने जनक और बहादुर के ऊपर ट्रैक्टर चढ़ा दिया। इतने में अतर सिंह ने लाठियों से जनक के ऊपर ताबतोड़ हमला करना शुरू कर दिया। तब दिनेश, वकील और रामस्वरूप को जनक ने बचाया। विनोद ने ट्रैक्टर से कमरे की दीवार तोड़ दी। जिसके बाद यह सभी लोग चले गए। दिनेश ने अपने चाचा जनक और पिता बहादुर को बयाना अस्पताल में भर्ती करवाया। जहां से उन्हें भरतपुर के आरबीएम अस्पताल रेफर कर दिया।

छत से पत्थर फेंकने पर हुआ बवाल

इस घटना के दूसरे दिन 21 अक्टूबर को अतर सिंह पक्ष ने बहादुर पक्ष के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। बताया कि 20 अक्टूबर को मेरा बेटा निरपत ट्रैक्टर लेकर खेत से आ रहा था। जैसे ही वह बहादुर के घर के पास पहुंचा, बहादुर की पत्नी निर्मला ने निरपत पर गंदा पानी और सब्जी फेंक दी। इसके बाद निरपत और बहादुर के परिवार के बीच विवाद शुरू हो गया। बहादुर का बेटा हनुमंत और बहादुर का छोटा भाई कमला का बेटा मुनेश छत पर शराब पी रहे थे। दोनों ने छत से ही निरपत पर एक बड़ा पत्थर फेंक दिया। वह पत्थर ट्रैक्टर पर गिरा। इससे ट्रैक्टर का बोनट पिचक गया। तभी हनुमंत लाठी लेकर नीचे आया और अतर सिंह पर हमला कर दिया।

एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस अतर सिंह को थाने ही ले गई। बहादुर पक्ष को भी थाने बुलाया गया। पुलिस ने दोनों पक्षों से 22 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। वहां मामला शांत हो गया और दोनों पक्ष अपने-अपने घर लौट गये।

23 और 24 अक्टूबर को दोनों परिवार शांत रहे। 25 अक्टूबर को बहादुर से जुड़े एक शख्स की मौत हो गई थी। सभी लोग अंतिम संस्कार में गये थे। सुबह करीब छह बजे बहादुर बाथरूम जा रहा था। तभी अतर सिंह के बेटे विनोद ने बहादुर को अकेला पाकर उस पर डंडे से प्रहार कर दिया। इसके बाद विनोद ट्रैक्टर लेकर अपने काम पर चला गया। घर पर निरपत, दामोदर और उसके पिता अतर सिंह थे। बहादुर ने अपने बेटों को बुलाया और बताया कि विनोद ने उसे डंडे से पीटा है। इससे नाराज बहादुर का बेटा और भाई तुरंत घर पहुंचे। अतर सिंह पक्ष पर लाठी-डंडों से हमला कर दिया। बहादुर के पक्ष के लोगों ने अतर सिंह के परिवार में मौजूद सभी लोगों को जमकर पीटा।

सिर्फ दूसरे को फंसाने की थी साजिश

इस घटना में अतर सिंह के पक्ष के सभी लोग घायल हो गये। निरपत को भी काफी चोटें आईं। इस हमले के बाद दामोदर बदले की आग में जल रहा था। उसकी समझ में नहीं आया कि वह क्या करे जिससे वह वीर पक्ष के लोगों को फँसा सके। पहले तो उसने अपनी बहन को ट्रैक्टर से कुचलकर घायल करने की सोची। जिसका दोष वह बहादुर पक्ष पर डालेंगे। दामोदर ट्रैक्टर लादने ही वाला था कि तभी रेखा का पति बीच में आ गया। उन्होंने दामोदर को ऐसा करने से रोका। फिर निरपत जमीन पर लेट गया। उसने अपने भाई दामोदर से कहा कि वह उस पर ट्रैक्टर चढ़ा दे, ताकि वह पुलिस के सामने यह साबित कर सके कि बहादुर पक्ष ने उस पर ट्रैक्टर चढ़ा कर उसे मारने की कोशिश की है। दामोदर को भी गुस्सा आ गया और उसने निरपत के ऊपर एक के बाद एक 8 बार ट्रैक्टर चढ़ा दिया। जिसमें निरपत की मौके पर ही मौत हो गई। उधर, बहादुर सिंह के बेटे दिनेश ने इस पूरी घटना का वीडियो बना लिया।

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सदर थानाध्यक्ष जय प्रकाश ने बताया कि पहले भी दोनों पक्षों की ओर से मामला दर्ज कराया गया था। फेंसिंग तोड़ने को लेकर भी विवाद हुआ। दोनों पक्षों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई। पुलिस से बचने के लिए दामोदर ने हत्या के वक्त पहनी हुई लाल शर्ट छुपा दी थी। जिसे पुलिस ने बरामद कर लिया है।

सदर थानाप्रभारी जयप्रकाश परमार ने बताया कि जब दामोदर से पूछताछ की गई तो उसने बताया कि बहादुर सिंह के लोगों ने पहले उसे पीटा था, जब वे दोबारा हमें मारने आए तो मैं अपना मानसिक संतुलन खो बैठा था। मुझे नहीं पता था कि मेरा भाई ट्रैक्टर के नीचे है, मैं गलती से ट्रैक्टर के ऊपर चढ़ गया और मेरे भाई की मौत हो गई। दामोदर ने अपना जुर्म भी कबूल कर लिया है।

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