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Bengal Tiger: कौन है, बंगाल टाइगर कहां रहते है?

Bengal Tiger: जंगल का राजा कहे जाने वाला पेंथेरा टाइग्रिस भारत की शान है। रॉयल बंगाल टाइगर (royal bengal tiger) या बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है। इसे ये सम्मान इसकी खूबसूरती और ताकत को देखते हुए दिया गया है। बता दें बाघ की ये उप-प्रजाति भारत, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, म्यांमार, और दक्षिण तिब्बत के तराई वाले जंगलों में पाई जाती है। अगर हम बात करें भारत की तो यहां पांच तरह के बाघ पाये जाते है। व्हाइट टाइगर, गोल्डन बंगाल टाइगर, ब्लैक बंगाल टाइगर, स्नों टाइगर, और दलदली बाघ। हालांकि, बंगाल की सुंदरबन जंगल इनका प्राकृतिक आवास है लोकिन, कटते जंगल और बढ़ते शिकार की वजह से ये संकट में है। bengal-tigers

दुनिया के 70 फीसदी बाघ भारत में

वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड एंड ग्लोबल टाइगर फोरम के मुताबिक, दुनिया के 70 फीसदी बाघ भारत में ही रहते हैं। 2006 में भारत में 1411 बाघ थे, जो 2010 में 1706 हो गये थे। बता दें, आखिरी गणना 2014 में हुई थी, जिसमें 2226 बंगाल टाइगर पाए गए। नेशनल टाइगर कन्जर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) के अधिकारियों का अनुमान है कि, इस वक्त देश में 3000 से ज्यादा टाइगर हैं। हालांकि आधिकारिक आंकड़े जनवरी 2019 में जारी किए जाएंगे। बता दें, भारत में बंगाल टाइगर का कन्जर्वेशन तेजी से बढ़ा है। इसकी वजह शिकार के मामले कम होना भी है। ऐसे में जनवरी 2019 की गणना में टाइगर की संख्या काफी बढ़ने की उम्मीद है। रॉयल बंगाल टाइगर या बाघ की समान उनकी ताकत को देखते हुए उसे ये नाम दिया गया।  उसकी एक दहाड़ से पूरे जंगल को थर्रा सकती है। इनकी प्रजाती इतनी ताकतवर होती है कि, यह अकेले पूरे जंगल के जानवरों से मुकाबला कर सकते हैं। ऐसे में अब आसानी से उनकी ताकत का अनुमान लगाया जा सकता है। आइये आपको बताते हैं बंगाल टाइगर से जुड़ी कुछ खास बातें।

बंगाल टाइगर के बारे में बताओ-

जंगल का राजा कहलाने वाला पेंथेरा टाइग्रिस भारत की शान है। रॉयल बंगाल टाइगर भारत का राष्ट्रीय पशु है। इसे यह सम्मान इसकी खूबसूरती और ताकत को देखते हुए दिया गया है। इनकी प्रजाती इतनी ताकतवर होती है कि यह अकेले पूरे जंगल के जानवरों से मुकाबला कर सकते हैं। यही कारण है कि, इन्हें जंगलों का राजा कहा जाता है। बाघ यह उप-प्रजाति भारत, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, म्यांमार और दक्षिण तिब्बत के तराई वाले जंगलों में पाई जाती है। बता दें, बंगाल टाइगर का रंग नारंगी-सफेद और ब्लैक स्ट्राइप्स के साथ होता है, जो उन्हें एक अद्वितीय रूप देता है।

बाघों को क्यों कहा जाता है बंगाल टाइगर?

दरअसल, प्राचीन काल में टाइगर्स बंगाल में बसे हुए थे। यह उस समय की बात है जब यूनाइटेड किंगडम के शाही परिवार के शिकारी ने सुंदरबन में बंगाल टाइगर का शिकार किया था , जिसके बाद इन बाघों को रॉयल बंगाल टाइगर्स का खिताब मिला।

भारत में कितने तरह के बंगाल टाइगर है?

  • अगर भारत में पाए जाने वाले बंगाल टाइगर (Bengal Tiger)की बात की जाए तो यहां पांच प्रकार के बाघ पाये जाते हैं।
  • व्हाइट टाइगर
  • गोल्डन बंगाल टाइगर
  • ब्लैक बंगाल टाइगर
  • स्नो टाइगर
  • दलदली बाघ

बंगाल टाइगर कहां पाये जाते है?

बंगाल बाघ भारत में मुख्य रूप से बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, चीन और म्यांमार में छोटी आबादी के साथ पाया जाता है। यह जंगली में बचे 2,500 से ज्यादा बाघों की सभी उप-प्रजातियों में से सबसे ज्यादा है। 1970 के दशक में भारत के बाघ भंडार के निर्माण ने संख्याओं को स्थिर करने में मदद की, लेकिन अब  एशिया से बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अवैध शिकारों ने एक बार फिर बंगाल के बाघों को खतरे में डाल दिया है।

क्यों मशहूर है बंगाल टाइगर की दहाड़? 

बंगाल टाइगर (Bengal Tiger)की दहाड़ सुनकर आप भी हैरान हो सकते है। उनकी एक दहाड़ करीब 4 किलोमीटर तक गूंजती है। यही कारण है कि, इन्हें जंगलों का राजा कहा जाता है। बता दें, वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड एंड ग्लोबल टाइगर फोरम के मुताबिक, दुनिया के करीब 70 फीसदी बाघ भारत में ही रहते हैं। bengal-tigers

बाघ की कौन सी प्रजाति सबसे बड़ी है?  

नर बंगाल टाइगर (Bengal Tiger) नाक से पूंछ तक तीन मीटर तक बड़े होते हैं, और इनका वजन 180 से 300 किलोग्राम के बीच होता है। इस प्रजाति की मादा का वजन 100 से 160 किलोग्राम के बीच होता है। और ढ़ाई मीटर तक की लंबाई हो सकती है। बता दें, अब तक के सबसे बड़े रॉयल बंगाल टाइगर का वजन लगभग 400 किलोग्राम पाया गया है।

ये खाना पसंद करते है रॉयल बंगाल टाइगर? 

बाघों और शेरों को जीवित रहने के लिए मांस की आवश्यकता होती है। ये ज्यादातर बकरी, सुअर, कुत्ता, हिरण, गाय, और मवेशियों का मांस खाना पसंद करते है। स्वस्थ जीवन जीने के लिए उन्हें मांस खाना जरूरी है। बाघ मांस को आसानी से पचा सकते है। गौरतलब है कि, शेर और बाघ कभी शाकाहार नहीं करते वो भूखे होने के बाद भी अपने शिकार की तलाश में रहते है।

3-5 शावकों को जन्म देती है मादा बाघिन   

मादा बंगाल टाइगर्स (Bengal Tiger)2 1/2 वर्ष की उम्र में परिपक्व हो जाती हैं। विकास की अवधि लगभग तीन महीने तक चलती है। ये एक बार में करीब 3 से 5 शावकों को जन्म देती है। बता दें, बंगाल टाइगर कारावास में लगभग 25 सालों तक जीवित रह सकता है और जंगली इलाकों में उनके उम्र की सीमा थोड़ा कम हो जाती है।

कैद में रखा गया सबसे बड़ा बाघ  

बंगाल टाइगर (Bengal Tiger)अपने विशाल आकार के कारण जंगल में हावी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि, साइबेरियाई  बाघ कैद में बंगाल के  बाघों से बड़े हो जाते हैं?  गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार, अब तक कैद में रखे गए सबसे बड़े बाघ का नाम साइबेरियाई बाघ है। अमेरिकी पशु प्रशिक्षक जोन मायरोन मारासेक के स्वामित्व वाला, जयपुर अब तक दर्ज किए गए लगभग किसी भी अन्य बाघ की तुलना में बहुत बड़ा था। नौ साल की उम्र तक, जयपुर पहले से ही 10 फीट, 11 इंच लंबा था और वजन 932 पाउंड के करीब था। बहुत खूब! इसे चिकित्सकीय दृष्टि से बाघ के लिए अधिक वजन वाला माना जाता है, लेकिन फिर भी वह सबसे बड़े बाघ के ताज का हकदार है। अगर आप बाघों से प्यार करते हैं और लंदन में करने के लिए शीर्ष चीजों की तलाश में हैं, तो द टाइगर हू केम टू टी के रोमांचक प्रोडक्शन को देखना न भूलें। ये पूरे परिवार के लिए लंदन में सबसे अच्छी गतिविधियों में से एक है। ये भी पढ़ें:- Manohar Lal Khattar: हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने मंत्रिमंडल के साथ दिया इस्तीफा

क्यों करते है बाघ एक दूसरे का शिकार ?

बाघ को लेकर अक्सर सुनने में आता है कि, एक बाघ ने दूसरे बाघ पर हमला कर दिया है। दरअसल कुछ साल पहले मध्य प्रदेश के कान्हा नेशनल पार्क में एक बाघ ने दूसरे बाघ को मार दिया था। वहीं हाल ही में महाराष्ट्र के यवतमाल में बाघिन ने अपने ही दो शावकों को मौत के घाट उतार दिया था। bengal-tiger पहले भी कुछ टाइगर रिजर्व से बाघों के एक दूसरे पर हमले की घटनाएं सामने आ चुकी है। विशेषज्ञों के मुताबिक बाघ जब ज्यादा गुस्से में होते है तो आपस में ही एक दूसरे का शिकार कर लेते है। हालांकि, इनकी लड़ाई भूख के लिए नही होती ये एक दूसरे को मारने के बाद उनके शरीर को चीर-फाड़ कर छोड़ देते है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि, बाघ खुद को ज्यादा ताकतवर साबित करने के लिए ये अपनी ही प्रजाति के जानवरों को अपना शिकार बना लेते है। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर(X) पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)