लखनऊः संजय गांधी पीजीआई संस्थान (SGPGI ) में मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है, लेकिन चिकित्सा उपकरणों की देखरेख करने वाले कर्मचारियों की संख्या में भारी कमी आ गई है। इस स्थिति से संस्थान में भर्ती मरीजों की जान खतरे में पड़ गई है।
SGPGI : उपकरणों समय से मरम्मत तक नहीं हो रही
संस्थान के आंकड़ों के अनुसार, स्थापना के समय 700 बेड पर बायो मेडिकल इंजीनियरिंग (सेंट्रल वर्कशॉप) में 22 पद थे लेकिन वर्तमान में बेड की संख्या बढ़कर 2,200 हो गई है, जबकि इन सभी बेड पर लगे चिकित्सा उपकरणों की देखरेख के लिए मात्र 11 कर्मचारी ही उपलब्ध हैं। इनमें से भी चार कर्मचारी जल्द ही सेवानिवृत्त होने वाले हैं। इस स्थिति के कारण संस्थान के ओटी, आईसीयू और वार्ड में लगे उपकरणों की समय पर मरम्मत और रखरखाव नहीं हो पा रहा है।
चिकित्सा विशेषज्ञों ने अनुभवी कर्मचारी जारूरी
कई महत्वपूर्ण उपकरण खराब पड़े रहने के कारण मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। फैकल्टी फोरम और पीजीआई कर्मचारी महासंघ ने संस्थान के निदेशक से घटाए गए पदों को दोबारा पद सृजित कर नियुक्तियां करने की मांग की है। कर्मचारियों का कहना है कि इस स्थिति में मरीजों की जान खतरे में है। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी अस्पताल में चिकित्सा उपकरणों की देखरेख के लिए पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित कर्मचारियों का होना बेहद जरूरी है।
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उपकरणों की खराबी से न केवल मरीजों के जीवन को खतरा होता है, बल्कि अस्पताल की प्रतिष्ठा पर भी बुरा असर पड़ता है। एसजीपीजीआई और केजीएमयू जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में हुई इन घटनाओं से यह स्पष्ट है कि हमारे सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा उपकरणों की देखरेख और मरीजों की देखभाल के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। सरकार को इन संस्थानों में चिकित्सा उपकरणों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ इनकी देखरेख के लिए पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित कर्मचारियों की नियुक्ति करनी चाहिए।
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