नई दिल्ली: केंद्रीय आयुष, बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने शनिवार को कहा कि केंद्र सरकार ने देश भर में अधिक संख्या में आयुष शिक्षण कॉलेज खोलने के लिए वित्तीय सहायता को नौ करोड़ रुपये से बढ़ाकर 70 करोड़ रुपये कर दिया है। केन्द्रीय मंत्री शनिवार को गुवाहाटी में आयुष मंत्रालय द्वारा ‘आयुष प्रणालियों में विविध और पूर्ण करियर पथ पूर्वोत्तर राज्यों में शिक्षा, उद्यमिता और रोजगार पर फोकस’ विषय पर आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
इस अवसर पर सोनोवाल ने कहा कि उत्तर-पूर्व में आयुष की शिक्षा देने वाले कॉलेज अपेक्षाकृत कम हैं। ऐसे में इस क्षेत्र में भारतीय पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली को लोकप्रिय बनाने के लिए ज्यादा संख्या में योग्य चिकित्सकों की जरूरत है। इस तथ्य के मद्देनजर पूर्वोत्तर राज्यों में अधिक संख्या में आयुष शिक्षण कॉलेजों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अब राज्य नए कॉलेजों की स्थापना के लिए भूमि की पहचान कर सकते हैं, मानव संसाधन जुटा सकते हैं और ‘एनएएम’ के दिशानिर्देशों के अनुसार इस अवसर का लाभ उठा सकते हैं।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि आयुष मंत्रालय ने असम स्थित सरकारी आयुर्वेदिक कॉलेज, जलुकबाड़ी को 10 करोड़ रुपये तक की सहायता से उत्कृष्टता केंद्र के रूप में उन्नत करने की सैद्धांतिक मंजूरी भी दे दी है। उन्होंने कहा कि उनके मंत्रालय ने अंडर ग्रेजुएट टीचिंग कॉलेजों को अपग्रेड करने के लिए 5 करोड़ और पोस्ट ग्रेजुएट संस्थानों के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए 6 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं।
इस मौके पर सोनोवाल ने केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान (सीएआरआई), गुवाहाटी में स्वास्थ्य क्षेत्र कौशल परिषद – राष्ट्रीय कौशल विकास निगम से संबद्ध पंचकर्म तकनीशियन पाठ्यक्रम शुरू करने की भी घोषणा की। इसके तहत 10+2 स्तर के छात्रों के लिए 10 सीटें रखी गई हैं। इससे पूर्वोत्तर क्षेत्र में पंचकर्म चिकित्सा के लिए कुशल मानव संसाधन तैयार करने और रोजगार के अवसरों में वृद्धि करने में मदद मिलेगी।
इस सम्मेलन में असम सरकार में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण और विज्ञान और प्रौद्योगिकी और सूचना और प्रसारण मंत्री, केशब महंत बतौर सम्मानित अतिथि उपस्थित थे।
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वहीं, ‘यूनानी में अनुसंधान शिक्षा और कैरियर के अवसर’ पर एक व्याख्यान प्रो. असीम अली खान, महानिदेशक, सीसीआरयूएम, नई दिल्ली द्वारा दिया गया। ‘सिद्धा में अनुसंधान शिक्षा और कैरियर के अवसर’ विषय पर व्याख्यान प्रो. डॉ. के. कनकवल्ली, महानिदेशक, सीसीआरएस, चेन्नई द्वारा दिया गया। डॉ. पद्म गुरमीत, निदेशक, एनआरआईएस, लेह ने ‘सोवा-रिग्पा में अनुसंधान शिक्षा और कैरियर के अवसर’ पर व्याख्यान दिया जबकि ‘योग और प्राकृतिक चिकित्सा में अनुसंधान शिक्षा और कैरियर के अवसर’ विषय पर डॉ. राघवेंद्र राव, निदेशक, केंद्रीय योग और प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने अपना व्याख्यान दिया।
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