नई दिल्लीः जम्मू हवाई अड्डे के टेक्निकल एरिया यानी एयरफोर्स स्टेशन पर शनिवार की देर रात को हुए दो धमाकों में ड्रोन का ही इस्तेमाल किया गया है। देश में पहली बार हुए 'ड्रोन अटैक' की पुष्टि जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने की है। सिंह ने कहा है कि इस हमले की साजिश सीमापार से रची गई, लेकिन इसे अंजाम सीमा के अंदर से ही दिया गया। इसीलिए एयरफोर्स स्टेशन पर एनआईए और एनएसजी की टीम टेरर एंगल से जांच कर रही है। भारत में ऐसा पहला ड्रोन हमला है जिसका संभावित लक्ष्य परिसर में खड़े विमान थे। इसके बाद अम्बाला, पठानकोट और अवंतिपुरा एयरबेस को भी हाई अलर्ट पर रखा गया है।
हालांकि, अभी तक हुई जांच का विस्तृत खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर ड्रोन से 04 बम गिराए गए, जिनमें से 02 में विस्फोट हुआ। घटनास्थल से शेल भी बरामद हुए हैं। फॉरेंसिक टीम को भी बम विस्फोट से संबंधित कई सुराग मिले हैं। भारतीय वायुसेना के दो जवानों को 'बेहद मामूली' चोटें आई हैं और बिल्डिंग की छत में बड़ा सा छेद होने के अलावा कोई नुकसान नहीं हुआ है। ड्रोन हमले के बावजूद जम्मू हवाईअड्डे पर उड़ान संचालन सामान्य है। पश्चिमी एयर कमांडर एयर मार्शल वीआर चौधरी ने भी जम्मू एयरबेस का दौरा करके जमीनी स्थिति का जायजा लिया है। उन्हें इस घटना के बारे में भारतीय वायु सेना के अधिकारियों ने जानकारी दी है।
जम्मू का यह एयरफोर्स स्टेशन किसी भी लड़ाकू विमान का एयरबेस नहीं है लेकिन यहां एमआई-17 और परिवहन हेलीकॉप्टर हैं। इस बेस में ड्रोन आधारित हमले की यह देश की पहली घटना है, जिसकी रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान में लंबे समय से आशंका जताई जा रही थी। यह हमला भले ही मामूली तीव्रता का रहा हो, लेकिन यह घटना ड्रोन अटैक शुरू करने की आधुनिक क्षमताओं को दर्शाती है। हालांकि, पाकिस्तान पहले से पंजाब और जम्मू-कश्मीर में आतंकी नेटवर्क को हथियारों और गोला-बारूद की आपूर्ति के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है, लेकिन यह पहली बार है जब इस प्रणाली का इस्तेमाल किसी हमले को अंजाम देने के लिए किया गया है।
यह भी पढ़ेंः-तीन दिवसीय दौरे पर लेह पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ, पूर्व सैनिकों से की मुलाकातसेना के एक पूर्व अधिकारी का कहना है कि हमारे युद्ध अध्ययन उग्रवाद का मुकाबला करने के लिए बहुत सीमित हैं। हमने युद्ध के तकनीकी सहायता प्राप्त बदलते डोमेन को आसानी से अनदेखा कर दिया है। हमें संबंधित तकनीकों का अध्ययन करने और उससे निपटने के उपायों के लिए एक सीओई की आवश्यकता है। ऐसे ड्रोन की जांच के लिए हाई पावर सर्विलांस सिस्टम, लॉन्ग रेंज रडार पर काम करना चाहिए और अगर संभव हो तो एयरपोर्ट के पास ऐसे ड्रोन को उतारने के लिए इजरायली आयरन डोम जैसी प्रणाली का इस्तेमाल करें। यह हाई सिक्योरिटी एरिया में सेंध है, इसकी ठोस जांच की जरूरत है।