Thursday, December 19, 2024
spot_img
spot_img
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
Homeदुनियाप्रचंड के पीएम बनते ही सुनाई देने लगे भारत विरोधी सुर, इन...

प्रचंड के पीएम बनते ही सुनाई देने लगे भारत विरोधी सुर, इन क्षेत्रों को वापस लेने का किया दावा

काठमांडूः नेपाल में पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड के प्रधानमंत्री बनते ही भारत विरोधी सुर सुनाई देने लगे हैं। नेपाल की नई सरकार के न्यूनतम साझा कार्यक्रम के अंतर्गत भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को वापस लेने का वादा किया गया है। नेपाल के नए प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड को चीन का करीबी माना जाता है। अब प्रचंड के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत विरोध पर आधारित नेपाली राष्ट्रवाद को हवा देने की फिर से शुरुआत हो गई है।

नई नेपाल सरकार के न्यूनतम साझा कार्यक्रम के अंतर्गत जारी दस्तावेजों में कहा गया है कि भारत ने कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा इलाकों पर अवैध कब्जा कर रखा है। वादा किया गया है कि नई सरकार इन इलाकों को वापस लाएगी। उल्लेखनीय है कि पहले भी नेपाल इन इलाकों पर अपना दावा पेश करता रहा है। ये इलाके उत्तराखंड सीमा पर नेपाल से सटे हुए हैं। खास बात ये है कि जिन इलाकों पर नेपाल कब्जा जमाना चाहता है, उन इलाकों को साल 2019 और साल 2020 के राजनीतिक नक्शे में भारत अपनी सीमा के अंदर बता चुका है।

ये भी पढ़ें..Bigg Boss 16: टीना-शालिन की माॅम ने एक साथ की घर…

इस बात पर उस समय नेपाल और भारत के बीच काफी विवाद भी देखने को मिला था। अब न्यूनतम साझा कार्यक्रम के अंतर्गत नेपाल सरकार ने क्षेत्रीय अखंडता, संप्रभुता और स्वतंत्रता को मजबूत करने की बात कही है। इसके अंतर्गत प्रचंड सरकार ने भारत को तो निशाने पर लिया है, किन्तु चीन के साथ सीमा विवाद का जिक्र न्यूनतम साझा कार्यक्रम में नहीं किया गया है। न्यूनतम साझा कार्यक्रम के दस्तावेजों में यह जरूर कहा गया है कि नेपाल सरकार दोनों पड़ोसी देशों, भारत और चीन से संतुलित राजनयिक संबंध चाहती है। दावा किया गया है कि नेपाल की दहल सरकार ‘सबसे दोस्ती और किसी से दुश्मनी नहीं’ वाले मंत्र के साथ आगे बढ़ेगी।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)

सम्बंधित खबरें
- Advertisment -spot_imgspot_img

सम्बंधित खबरें