Delhi Ordinance Bill: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में दिल्ली अध्यादेश से जुड़ा बिलपेश किया। यह ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक , 2023’ है, जो लोकसभा में 3 अगस्त को पारित हो चुका है। उधर कांग्रेस ने इस बिल को असंवैधानिक करार दिया है। विपक्ष ने कहा कि इस बिल को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। विपक्षी सांसदों के विरोध के बीच इस बिल पर सदन में चर्चा शुरू हुई।
इस विधेयक पर विरोध करते हुए कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने इसे शक्तियों पर निर्बाध कब्जा है और टेकओवर बताया। सिंघवी ने कहा कि इसका एक उद्देश्य अधिकारियों को डराना है। उन्होंने उपराज्यपाल को सुपर सीएम बताया और कहा कि दिल्ली के सारे फैसले सुपर सीएम लेंगे और सुपर सीएम के ऊपर गृह मंत्रालय होगा। सिंघवी ने इसे एक बड़ी गलती बताया और एक शेर पढ़ते हुए कहा यह कुछ ऐसा होगा जैसे ‘लम्हों ने खता की, सदियों ने सजा पाई।’
गौरतलब है कि केंद्र सरकार 19 मई को दिल्ली सरकार में तैनात अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़ा एक अध्यादेश लाई थी। इस अध्यादेश में सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार को दिया गया था। अब यही विधेयक राज्यसभा में पेश किया गया है। इस विधेयक को लोकसभा की मंजूरी पहले ही प्राप्त हो चुकी है।
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दिल्ली बिल पारित होने से बदल जाएंगे नियम
यह बिल गुरुवार को लोकसभा में पास हो चुका है, अब यह बिल सोमवार को राज्यसभा में जाएगा, जहां से इसके पारित होने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री और राज्य सरकार की शक्तियां काफी हद तक कम हो जाएंगी। दिल्ली में जो भी ग्रेड-ए अधिकारी तैनात होंगे, जिनके फैसलों का खासा असर होगा, उन पर दिल्ली सरकार का नियंत्रण खत्म हो जाएगा और ये शक्तियां उपराज्यपाल (एलजी) के जरिए केंद्र सरकार के पास चली जाएंगी।
दिल्ली सेवा विधेयक में राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण की स्थापना का प्रावधान है। दिल्ली के मुख्यमंत्री इसके अध्यक्ष होंगे। प्राधिकरण में दिल्ली के मुख्य सचिव पदेन सदस्य, प्रधान गृह सचिव सदस्य सचिव होंगे। अथॉरिटी की सिफारिश पर एलजी फैसला लेंगे, लेकिन वे ग्रुप-ए अफसरों से जुड़े जरूरी दस्तावेज मांग सकते हैं। अगर सत्ता और एलजी की राय अलग-अलग होगी तो एलजी का फैसला सर्वोपरि माना जाएगा।
आप सांसद संजय सिंह ने कल कहा था कि भले ही मोदी सरकार इस बिल को लोकसभा से पारित करा लेगी (जो अब हो चुका है), लेकिन उच्च सदन में हम विपक्षी दल एकजुट होकर इसे गिरा देंगे। लेकिन उनके दावे में कोई दम नहीं है क्योंकि मोदी सरकार को अब नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी का समर्थन मिल गया है। बीजेडी के कारण दोनों सदनों में मोदी सरकार का गणित भी बढ़ेगा और संजय सिंह की दावेदारी भी बरकरार रहेगी।
कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने का सरकार पर तंज
वहीं कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि यह ऐसा बिल है, जिससे दिल्ली में सारी शक्तियां उपराज्यपाल के पास चली जाएंगी। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि यह संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है. आप दिल्ली की सत्ता छीन रहे हैं। ऐसा मत करो, नहीं तो दिल्ली को नगर निगम क्यों नहीं बनाये रखते। उन्होंने कहा कि दिल्ली को सभी केंद्र शासित प्रदेशों में विशेष दर्जा प्राप्त है। यह बिल सुप्रीम कोर्ट के फैसले को रद्द करता है। यह बिल वेस्टमिंस्टर जैसे लोकतंत्र की बात करता है. सरकार की मंशा किसी न किसी तरह से नियंत्रण करने की है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है। यह पूरी तरह से असंवैधानिक है।
सिंघवी ने कहा कि यह बिल न सिर्फ दिल्ली सरकार के खिलाफ है बल्कि संवैधानिक मूल्यों के भी खिलाफ है। हमें सामूहिक रूप से इसके खिलाफ खड़ा होना चाहिए।’ सिंघवी ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि दिल्ली में एक अथॉरिटी बनाई गई है, जिसमें मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव के अलावा मुख्यमंत्री भी शामिल हैं। मुख्यमंत्री इसके अध्यक्ष हैं। लेकिन, उनके पास कुर्सी नहीं है। दो अधिकारी मिलकर एक निर्वाचित मुख्यमंत्री के फैसले को रद्द कर सकते हैं।
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