लम्पी को लेकर अलर्ट पर पशुपालन विभाग, पशुपालकों से की ये अपील

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फतेहाबादः लम्पी स्किन डिजिस बीमारी की रोकथाम को लेकर जिला में पशुपालन एवं डेरिंग विभाग पूरी तरह से सतर्क है। पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ. सुखविंद्र सिंह ने पशुपालकों को अपील करते हुए बताया कि इस बीमारी में मृत्यु दर केवल 1-2 प्रतिशत है, इसलिए पशुपालक व गौशाला प्रबन्धक को घबराने की आवश्यकता नहीं है। किसी भी संभावित लक्षण वाले पशु का इलाज नजदीकी राजकीय पशु चिकित्सालय के पशुचिकित्सक से करवाएं।

उन्होंने बताया कि जिला में विभाग की पशु चिकित्सकों की टीमें 53 पशु चिकित्सालयों व 91 पशु औषधालयों में संभावित लक्षण वाले पशुओं का इलाज कर रही हैं। लम्पी स्किन डिजिस एक वायरल बीमारी है, जो मक्खियों व मच्छरों के काटने से फैलती है। इसमें शुरू में दो-तीन दिन तक बुखार आता है। इसके बाद पशु के शरीर में गांठे बन जाती है। यह गांठे गोल व उभरी हुई होती है। इस बीमारी से पशु कमजोर हो जाता है व दूध उत्पादन कम हो जाता है। कभी-कभी पशु का गर्भपात भी हो जाता है।

बीमारी के लक्षण व फैलाव के कारण

पशु को तेज बुखार, मुंह से पानी गिरना, भूख नहीं लगना, दूध उत्पादन में गिरावट, पशु के शरीर पर गांठे बनना जोकि फूट कर जख्म भी बन जाती हैं। मक्खियों-मच्छर व चिचड़ के माध्यम से, संक्रमित पशुओं की लार व दूषित चारा, पानी से फैलता है । संक्रमित पशु के स्वस्थ पशु के संपर्क में आने से भी फैलती है। गौशालाएं व पशुपालक संक्रमित पशु को स्वस्थ पशु से अलग रखें, बीमार पशु का तुरंत पशु चिकित्सक से इलाज शुरू करवाएं, पशुओं के बाड़े को साफ सूथरा रखें। स्वस्थ पशुओं को फिटकरी या लाल दवा से दिन में दो बार नहलाएं, बीमार पशुओं को बाहर चरने न लेकर जाएं, एक स्थान से दूसरे स्थान पर पशुओं को न लेकर जाएं।

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