भोपालः मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल के बच्चा वार्ड में अचानक आग लगने से चार बच्चों की मौत हो गई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने देर रात ट्वीट के माध्यम से इसकी जानकारी दी। इसके साथ ही उन्होंने मामले की जांच के निर्देश भी दिये। प्रदेश सरकार ने ऐलान किया है कि मृत बच्चों के स्वजन को चार-चार लाख रुपये की सहायता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) मोहम्मद सुलेमान मामले की जांच करेंगे। मुख्यमंत्री चौहान ने ट्वीट करते हुए कहा कि भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल के चाइल्ड वार्ड में आग की घटना दुखद है। बचाव कार्य तेजी से हुआ। घटना की उच्चस्तरीय जांच के निर्देश दिए हैं। जांच एसीएस लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मोहम्मद सुलेमान करेंगे।
मुख्यमंत्री चौहान ने पहले तीन बच्चों की मौत की पुष्टि की थी। इसके बाद उन्होंने ट्वीट किया कि दुखद सूचना प्राप्त हुई है कि एक और बच्चे को नहीं बचाया जा सका। यह हृदय विदारक है, मन दुखी है। पीड़ित परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं। दुःख की इस घड़ी में पूरा प्रदेश उनके साथ है। बच्चों का असमय दुनिया से जाना बेहद असहनीय पीड़ा है। ईश्वर से दिवंगत आत्माओं की शांति की प्रार्थना करता हूं। इन बच्चों के परिजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं। घटना में जो घायल हुए हैं, उन्हें शीघ्र स्वास्थ्य लाभ हो, यही मेरी कामना है। दरअसल, राजधानी भोपाल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल हमीदिया के परिसर में बने कमला नेहरू गैस राहत हॉस्पिटल की तीसरी मंजिल पर बच्चा वार्ड के एसएनसीयू में आग लग गई थी। बिजली लाइन में शॉर्ट सर्किट से हादसा हुआ और पीडियाट्रिक वेंटिलेटर ने आग पकड़ ली। फिर आग उस वॉर्मर तक पहुंच गई, जिसमें बच्चों को रखा गया था। सूचना मिलने पर दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंची और कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। घटना की जानकारी मिलते ही चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग भी अस्पताल पहुंच गये थे और मामले की जानकारी ले रहे थे। आगजनी के दौरान वहां भर्ती बच्चों को आनन-फानन में दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया था।
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घटनास्थल पर पहुंचे मंत्री विश्वास सारंग ने बताया कि वार्ड में 40 बच्चे थे, जिनमें से चार बच्चों की झुलसने के कारण मौत हो गई। शेष 36 बच्चे सुरक्षित हैं। नवजातों को बचाते समय तीन नर्स और एक वार्ड बॉय भी बेहोश हो गए थे। जिस वक्त आग लगी, तब इस थर्ड फ्लोर पर 127 बच्चे अलग-अलग वार्डों में भर्ती थे। उन्होंने कहा कि यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं सूचना पर तुरंत पहुंच गया था। बच्चों को मौके से अन्यत्र भेजा गया। उन्होंने बताया कि मृतक बच्चों के परिजनों को चार लाख रुपये की सहायता की घोषणा की गई है। इस संबंध में जानकारी मिली कि बेसमेंट और ग्राउंड फ्लोर मिलाकर आठ मंजिल के कमला नेहरू अस्पताल में आग से बचाव के कोई इंतजाम नहीं हैं। फायरकर्मियों ने अस्पताल में लगे ऑटोमेटिक हाईड्रेंट को देखा तो वो खराब पड़ा था। हर फ्लोर पर फायर एक्सटिंग्विशर तो थे लेकिन काम नहीं कर रहे थे। फायर ऑफिसर रामेश्वर नील के अनुसार, हमीदिया अस्पताल ने फायर एनओसी ली थी, लेकिन कमला नेहरू अस्पताल ने 15 साल से एनओसी लेना भी जरूरी नहीं समझा और बिल्डिंग के निर्माण के समय लगे सिस्टम को चालू भी नहीं किया। आग तीसरी मंजिल पर स्थित नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में लगी थी, जहां पूरे फ्लोर पर कुछ ही देर में धुंआ ही धुंआ हो गया। हालात यह हो गए कि किसी को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। गनीमत रही की आग पर जल्दी काबू पा लिया गया। वरना बड़ा हादसा होने की संभावना थी।
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