Arunachal Pradesh: अरुणाचल प्रदेश की एक अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसले सुलाया है। अरुणाचल प्रदेश के शि-योमी जिले की एक POCSO कोर्ट ने एक सरकारी आवासीय विद्यालय के पूर्व वार्डन को मौत की सजा दी है। यह फैसला 15 लड़कियों सहित कुल 21 बच्चों के यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद आया है, जो इस तरह के जघन्य अपराधों के लिए कठोर प्रतिक्रिया है। कोर्ट का फैसला 2019 से 2022 की अवधि के दौरान स्कूल की कार्रवाइयों पर आधारित था।
कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
यह ऐतिहासिक फैसला शैक्षणिक संस्थानों में यौन अपराधों के खिलाफ लड़ाई में एक कदम आगे है। दो बच्चों के माता-पिता द्वारा एफआईआर दर्ज कराने के बाद नवंबर 2022 में मामले की जांच शुरू हुई। विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा की गई जांच में स्कूल में बलात्कार के छह मामले, छेड़छाड़ के नौ मामले और यौन उत्पीड़न के छह अन्य मामले सामने आए हैं।
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मौत की सजा अन्य लोगों में पैदा करेंगी डर- विशेषज्ञ
दरअसल पीड़ितों ने न केवल वार्डन बल्कि स्कूल के कुछ अन्य कर्मचारियों पर भी यौन शोषण का आरोप लगाया था। इसके अलावा, पुलिस अधीक्षक रोहित राजबीर सिंह ने खुलासा किया कि दो सह-आरोपी, हिंदी शिक्षक मार्बोम न्गोमदिर और पूर्व स्कूल प्रिंसिपल सिंगटुन योरपेन को आईपीसी और पोक्सो अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी पाया गया। फैसले पर एक विशेषज्ञ ने कहा, “इस तरह की सख्त सजा से ऐसे ही इरादे रखने वाले अन्य लोगों में डर पैदा होगा, जिससे वे इस तरह के कृत्य करने से पहले दो बार सोचेंगे।”