Monday, December 23, 2024
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Homeउत्तर प्रदेशकोदो बदल रही किसानों की किस्मत, कई रोगों के लिए फायदेमंद

कोदो बदल रही किसानों की किस्मत, कई रोगों के लिए फायदेमंद

हमीरपुरः बुंदेलखंड में इस बार किसानों ने अपनी किस्मत बदलने के लिए कोदो (Kodo) की खेती का रकबा बढ़ाने की तैयारी कर ली है। कम लागत में भारी मुनाफा देने वाली कोदो की फसल आने वाले समय में किसानों की आय दोगुनी कर देगी। कोदो मधुमेह और असाध्य रोगों के लिए बेहद फायदेमंद है।

किसी समय बुंदेलखंड के हमीरपुर, महोबा, बांदा, चित्रकूट, जालौन, ललितपुर और झांसी समेत पड़ोसी एमपी के कई इलाकों में किसान बड़े पैमाने पर कोदो की खेती करते थे। लेकिन उपज का सही दाम न मिलने के कारण किसानों को परंपरागत खेती में दलहन, तिलहन और धान की खेती की ओर रुख करना पड़ा।

किसान रघुवीर सिंह बताते हैं कि तीन दशक पहले किसान बड़े रकबे में कोदो और काकुन की फसल उगाते थे, लेकिन बाजार में बीजों की नई प्रजातियां आने से किसान दूसरी फसलों की खेती करने लगे हैं। किसानों ने बताया कि पिछले कुछ सालों से परंपरागत खेती में भी किसानों को कोई खास फायदा नहीं मिला है, इसीलिए अब बुंदेलखंड में किसानों ने औषधीय खेती की ओर रुख किया है। खास तौर पर ग्रामीण कोदो की फसल का रकबा बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं। हमीरपुर के उपनिदेशक कृषि हरिशंकर भार्गव ने बताया कि कोदो की खेती कर किसान अपनी आय तीन से चार गुना बढ़ा सकते हैं, क्योंकि इस फसल के उत्पादन में लागत बहुत कम आती है। उन्होंने बताया कि जिले के राठ और गोहांड के गांवों में किसानों ने इसकी खेती शुरू कर दी है। बताया जाता है कि इस समय बाजार में कोदो का भाव दस से चौदह हजार रुपये प्रति कुंतल है।

गांवों में इस बार कोदो की फसल का रकबा बढ़ाने की तैयारी हमीरपुर जिले के गोहांड और राठ क्षेत्र में किसानों ने इस बार कम रकबे में कोदो की फसल उगाई है। गोहांड के चिल्ली गांव निवासी रघुवीर सिंह ने बताया कि छह बीघा खेत में कोदो की फसल उगाई है। कई किसानों ने इसकी खेती भी की है, जिससे किसानों को लागत से कई गुना अधिक मुनाफा हो रहा है। उन्होंने बताया कि मानसून की पहली बारिश के बाद जुलाई तक कोदो की बुवाई की जाती है, फिर चार महीने में यह फसल तैयार हो जाती है। बताया गया कि कोदो की फसल तैयार होने के बाद गोहानी, मुस्करा, बहार, इक्तौर, गिरवर आदि गांवों के बीस किसानों को इसके बीज उपलब्ध कराए जाएंगे और इस बार कोदो की फसल का क्षेत्रफल बढ़ाया जाएगा। इसकी खेती में किसानों की भी रुचि बढ़ी है।

बुंदेलखंड के किसानों को कोदो की फसल से मिलेगा बड़ा मुनाफा

कोदो की खेती करने वाले किसान रघुवीर, राजेंद्र व अन्य किसानों ने बताया कि एक बीघा जमीन पर चार से पांच कुंतल कोदो आसानी से पैदा हो सकता है। गांव स्तर पर कोदो भले ही बीस से तीस रुपये किलो मिल जाता हो, लेकिन शहरों में इसकी अधिक मांग के चलते इस समय कोदो पांच से छह हजार रुपये प्रति कुंतल बिक रहा है।

प्रगतिशील किसान रघुवीर सिंह ने बताया कि एक बीघा जमीन में कोदो की फसल पैदा करने में करीब सात हजार रुपये की लागत आती है। तीन महीने बाद चार से पांच कुंतल कोदो आसानी से पैदा हो जाता है। स्थानीय स्तर पर कोदो पचास से अस्सी रुपये प्रति किलो बिकता है, लेकिन शहरों में इसे बेचने से कई गुना अधिक मुनाफा होता है।

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कोदो से मधुमेह और अन्य असाध्य रोग भी होंगे दूर

आयुर्वेद चिकित्सा के विशेषज्ञ डॉ. आत्म प्रकाश ने बताया कि कोदो में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, आयरन, कैल्शियम, फाइबर और फास्फोरस प्रचुर मात्रा में होता है, जो मधुमेह को नियंत्रित रखता है। प्रसिद्ध वैद्य लखन प्रजापति और डॉ. दिलीप त्रिपाठी ने बताया कि कोदो लीवर, आमदोष और वात रोगों के लिए रामबाण औषधि है। हड्डियों में बुखार होने पर कोदो का नियमित सेवन करने से रोगी ठीक हो जाता है। बताया गया कि प्रदर और पित्त से संबंधित रोगों में कोदो लाभदायक है। आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. दिलीप त्रिपाठी, डॉ. अवधेश मिश्रा ने बताया कि कोदो खाने से मधुमेह के रोगी कुछ ही दिनों में पूरी तरह ठीक हो जाते हैं।

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