फरीदाबादः आधुनिक युग में महिलाएं अब पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर क्षेत्र में पुरुषों की बराबरी कर रही हैं और समानता (Women empowerment) का प्रतीक बनकर उभर रही हैं। कुछ ऐसा ही नजारा सूरजकुंड मेला परिसर में आयोजित पहले दीपावली उत्सव के दौरान देखने को मिला। दीपा बंसल नाम की 62 वर्षीय महिला ने रोशनी के त्योहार दीपावली से संबंधित झालर, लैंप और पेंडेंट जैसी सजावट की चीजें बेचने का एक स्टॉल लगाया है। दीपावली के त्योहार के लिए सजावट का सामान खरीदने के लिए उनके द्वारा लगाए गए स्टॉल नंबर एफसी-10 पर लोगों की भारी भीड़ उमड़ रही है। इस स्टॉल की खास बात यह है कि इसे पूरी तरह से महिलाएं चलाती हैं।
पितृसत्तात्मक समाज समाज को बदलना
दीपा बंसल और उनकी बेटियां जिनका नाम स्वाति, दीप्ति और सोनिका बंसल है और उनकी दो बेटियां इस स्टॉल का प्रबंधन कर रही हैं। उनका कहना है कि भारत और पूरा विश्व पितृसत्तात्मक समाज की संरचना में रह रहा है। यहां यह स्पष्ट करना जरूरी है कि जब हम महिला सशक्तिकरण की बात कर रहे हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि पितृसत्तात्मक समाज को मातृसत्तात्मक समाज में बदल दिया जाए। बल्कि यहां सशक्त होने का मतलब उसकी निर्णय लेने की क्षमता पर आधारित है चाहे वह अपने फैसले खुद ले रही हो या इसके लिए किसी और पर निर्भर हो।
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हथकरघा कारीगरों को मिलता है प्लेटफ्रॉर्म
उसी प्रकार आज महिलाओं का आर्थिक रूप से सशक्त होना बहुत जरूरी है। हमारा संपूर्ण महिला स्टॉल महिला सशक्तिकरण का प्रतीक है। राज्य सरकार द्वारा यह दीपावली उत्सव अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेले की तर्ज पर शुरू किया गया है। सूरजकुंड हस्तशिल्प मेला हथकरघा कारीगरों और शिल्पकारों को अपनी कला प्रदर्शित करने और व्यवसाय करने के लिए एक अच्छा मंच प्रदान करता है। इसी प्रकार, राज्य सरकार ने व्यापारियों और शिल्पकारों को अपने उत्पाद प्रदर्शित करने के लिए सूरजकुंड मेला परिसर में दीपावली मनाने का एक उत्कृष्ट माध्यम प्रदान किया है। इसके साथ ही लोगों को आत्मनिर्भर बनाने की मुहिम को भी गति मिलेगी।
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