Friday, January 10, 2025
spot_img
spot_img
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
Homeदेशपरवल की खेती से आत्मनिर्भर बनीं प्रतिमा, ग्रामीणों के लिए बनीं मिसाल

परवल की खेती से आत्मनिर्भर बनीं प्रतिमा, ग्रामीणों के लिए बनीं मिसाल

Parwal cultivation: खूंटी: एक समय था जब परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी घर के पुरुषों पर होती थी। लेकिन, अब महिलाएं हर क्षेत्र में अपना योगदान दे रही हैं, चाहे वह कृषि हो, मछली पकड़ना हो या पशुपालन हो। महिलाएं स्वयं स्वीकार करती हैं कि गांव-गांव में महिला स्वयं सहायता समूहों के गठन के बाद महिलाओं की जीवनशैली में काफी बदलाव आया है। ऐसी ही एक प्रगतिशील महिला किसान हैं तोरपा प्रखंड के जागू गांव की प्रतिमा तिर्की। प्रतिमा तिर्की अपने गांव के रानी महिला मंडल से जुड़ी हुई हैं।

प्रतिमा बताती हैं कि उनका परिवार पहले से ही धान, गोबर के उपले, मडुवा, उड़द जैसी पारंपरिक खेती करता रहा है, लेकिन इससे न तो परिवार का भरण-पोषण हो पाता था और न ही बच्चे अच्छे स्कूलों में पढ़ पाते थे। बाद में प्रतिमा ने सब्जी की खेती में हाथ बंटाने का फैसला किया और पहली बार अपने खेत में परवल की खेती (Parwal cultivation) की। इससे उन्हें ज्यादा आमदनी नहीं होती थी। महिला मंडल से जुड़ने से पहले भी वह खेती करती थीं, लेकिन जानकारी न होने के कारण वह अपनी मेहनत के अनुरूप मुनाफा नहीं कमा पाती थीं।

प्रशिक्षण से किया खेती की तकनीक में बदलाव

महिला मंडल की मदद से उन्नत एवं जैविक खेती के प्रशिक्षण से उन्होंने अपनी खेती की तकनीक में बदलाव किया। इससे उत्पादन बढ़ने लगा और आय भी बढ़ने लगी। इससे उनकी पहचान एक सफल किसान के रूप में होने लगी। समूह की बैठक में प्रतिमा को कृषि सखी से झारखंड राज्य आजीविका संवर्धन सोसायटी (जेएसएलपीएएस) द्वारा संचालित एकीकृत कृषि क्लस्टर (आईएफसी) योजना के तहत परवल की खेती के बारे में जानकारी मिली। इसके बाद प्रतिमा को भी परवल खेती करने की प्रेरणा मिली। प्रतिमा के लिए आईएफसी योजना के तहत परवल नर्सरी की व्यवस्था की गई, जिसमें उन्होंने खेत में एक सौ परवल के पौधे लगाए। परवल की खेती से उन्हें अच्छा उत्पादन मिला और मुनाफा भी दोगुना हो गया।

यह भी पढ़ेंः-5 हजार सफाईकर्मी होंगे नियमित! दिवाली से पहले केजरीवाल का तोहफा

10 हजार रुपये से ज्यादा की कमाई

महज 60 रुपये प्रति किलो की दर से 150 किलो परवल बेचकर प्रतिमा ने अब तक 10,000 रुपये से ज्यादा की कमाई कर ली है। प्रतिमा बताती हैं कि इस क्षेत्र में परवल की खेती संभव होगी या नहीं, इस आशंका के बीच उन्होंने सिर्फ एक सौ पौधे ही लगाये थे। इससे होने वाली आय को देखते हुए वह एक से दो हजार पौधे लगाने की सोच रही हैं। उन्होंने बताया कि परवल की खेती देखकर अन्य महिलाएं भी इस क्षेत्र में उतर रही हैं. अब अकेले जागू गांव में 30 परिवार परवल की खेती (Parwal cultivation) करने लगे हैं।

अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)

सम्बंधित खबरें
- Advertisment -spot_imgspot_img

सम्बंधित खबरें