नई दिल्ली: आंख सबसे संवेदनशील अंग है, इसलिए इसकी खास देखभाल की जरूरत होती है। बारिश, नमी और दूषित पानी विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया पैदा कर सकते हैं, जिनमें से कुछ आंखों में संक्रमण का कारण बन सकते हैं। बारिश के दिनों में हवा में नमी बढ़ने से वायरस और बैक्टीरिया का खतरा बढ़ जाता है। इससे आंखों में कंजक्टिवाइटिस (Conjunctivitis), लालिमा, आई फ्लू आदि की समस्या होने लगती है।
कंजक्टिवाइटिस वायरस (Conjunctivitis) और बैक्टीरिया से फैलता है, जिसके कारण यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल जाता है। कंजक्टिवाइटिस को गुलाबी आंखों की समस्या भी कहा जाता है। अधिकांश समय यह समस्या सामान्य उपचार से ठीक हो जाती है। इसके गंभीर होने का खतरा कम होता है। चूंकि एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस (Conjunctivitis) के कारण खुजली, आंखों से पानी आना और सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
क्या लक्षण हैं
- आई फ्लू में आंखें लाल हो जाती हैं। आंखों से पानी आने लगता है, जलन होने लगती है, पलकों पर पीला और चिपचिपा द्रव जमा होने लगता है।
- आंखों में चुभन के साथ सूजन भी हो जाती है।
- इसके आमतौर पर दिखने वाले लक्षण आंखों से पानी आना और खुजली होना है।
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ऐसे करें बचाव
- आई फ्लू या कंजक्टिवाइटिस (Conjunctivitis) से बचाव के लिए आंखों की सफाई का पूरा ध्यान रखें और उन्हें बार-बार ठंडे पानी से धोएं।
- किसी भी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें. संक्रमित व्यक्ति से हाथ न मिलाएं और उनके सामान जैसे चश्मा, तौलिया, तकिया आदि को न छुएं।
- अगर आप कंजंक्टिवाइटिस से पीड़ित हैं तो अपनी आंखों को बार-बार न छुएं।
- आंखों में आई ड्रॉप डालने से पहले हाथों को अच्छी तरह धो लें।
- आंखों पर बर्फ लगाने से जलन और दर्द से राहत मिलती है। संक्रमण के दौरान गंदी और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।
अस्वीकरण –
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। अगर संक्रमण गहरा हो तो आंखों के कॉर्निया को भी नुकसान पहुंच सकता है, जिससे आंखों की रोशनी पर असर पड़ सकता है। मॉनसून के मौसम में बच्चों में आई फ्लू का खतरा सबसे ज्यादा होता है। आंखों में किसी भी तरह के संक्रमण से बचने के लिए डॉक्टर से सलाह लें।
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