नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2021 के गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) मामले में गिरफ्तार दो लोगों की जमानत याचिकाओं पर बुधवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से जवाब मांगा। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस तलवंत सिंह की खंडपीठ ने हरीस निसार लांगू और जमीन आदिल भट की याचिकाओं पर एनआईए को नोटिस जारी किया।
ट्रायल कोर्ट ने उन्हें 3 मार्च को जमानत देने से इनकार कर दिया था। दोनों को जांच एजेंसी ने 22 अक्टूबर 2021 को गिरफ्तार किया था। अपीलकर्ताओं की ओर से पेश वकील तारा नरूला ने कहा कि दोनों याचिकाओं में जमानत खारिज करने के खिलाफ अपील की गई है। एनआईए कोर्ट। पीठ ने फिर मामले को 18 जुलाई को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
यह मामला अक्टूबर 2021 में यूएपीए और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज एक प्राथमिकी से उपजा है। जांच एजेंसी द्वारा दर्ज प्राथमिकी गृह मंत्रालय के सीटीसीआर डिवीजन के आदेश पर आधारित थी। जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM), हिजबुल मुजाहिदीन (HM), अल बद्र और उनके सहयोगी जैसे विभिन्न आतंकवादी संगठनों के कैडर जम्मू-कश्मीर और अन्य स्थानों पर सक्रिय हैं।
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राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने आरोप लगाया है कि लंगू स्वेच्छा से कई हमलों के माध्यम से कश्मीर घाटी में अशांति पैदा करने के लिए आतंकवादियों द्वारा रची गई साजिश में शामिल हो गया। दूसरी ओर, भट पर छापे और तलाशी के दौरान बरामद आपत्तिजनक सामग्री रखने का आरोप लगाया गया है। भट ने खुद खुलासा किया कि वह आतंकवादी संगठनों के एक नेटवर्क से अच्छी तरह जुड़ा हुआ था और उन्हें आवश्यक सहायता प्रदान करता था।
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