खूंटी: अभी अप्रैल महीना खत्म भी नहीं हुआ है कि भगवान सूर्यदेव ने अपना प्रचंड रूप दिखाना शुरू कर दिया है। सुबह आठ बजे के बाद ही गर्मी इतनी तेज हो जा रही कि लोग घरों में कैद होने पर विवश हो जा रहे हैं। दिन के 11 बजे के बाद ही सड़कों पर सन्नाटा पसर जा रहा है।
तेज धूप के साथ चल रही लू ने लोगों को परेशान कर रखा है। बढ़ती गर्मी के साथ ही भूगर्भ जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है। इसके कारण अधिकतर चापानलों में पानी नहीं निकल रहा है। जिले की तजना दी को छोड़ दें तो कारो, छाता, बनई, चेंगरझोर सहित तमाम नदियां सूख चुकी हैं।
इसके कारण एक ओर जहां जलापूर्ति बाधित हो रही है, वहीं दूसरी ओर पशु-पक्षी भी अपनाहलक तर करने के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। गर्मी से निजात पाने के लिए लोग शीतल पेया का सहारा ले रहे हैं। शतल पेय और सत्तू और फलों के जूस की दुकानों में भीड़ उमड़ रही है। लोग तेज धूप और गर्म हवा से बचने के लिए चेहरे को कपड़ों से ढककर चल रहे हैं।
स्कूली बच्चों को हो रही है परेशानी –
प्रचंड गर्मी से सबसे अधिक परेशानी स्कूली बच्चों को हो रही है। अधिकांश स्कूलों में कक्षाएं सुबह सात से 11 बजे तक संचालित हो रही है। दिन कें 11 बजे छुट्टी मिलने के बाद प्रचंड धूप में बच्चों को साइकिल या पैदल घर लौटना पड़ता है। इसकें कारण उन्हें चिलचिलाती धूप में काफी परेशानी होती है।
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सुबह 11 बजे के बाद बाहर निकलने से बचें –
प्रचंड गर्मी से बचने के लिए तोरपा के दियांकेल स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि और मौसम वैज्ञानिक डॉ राजन चौधरी बताते हैं कि दोपहर 11 से तीन बजे के बीच बाहर निकलने से बचें और हल्के रंग के ढीले सूती कपड़े पहनें। उन्होंने कहा कि अपना सिर ढककर रखें औंर कपड़े की टोपी और छाता का प्रयोग करें। पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं और प्यास न लगने पर भी डिहाइड्रेशन से बचने के लिए लगातार पेय पदार्थ का प्रयोग करें।
डॉ चौधरी ने कहा कि मवेशियों को भी सुबह 11 बजे से शाम चार बजे तक घर के अंदर ही रखें। उन्होंने बताया कि हीट स्ट्रोक, हीट रैश या हिट क्रैंप्स जैसी कमजोरी के लक्षणों को पहचानें। चक्कर आना, सिर दर्द, पसीना, दौरा आदि के लक्षण हों, तो तुरंत अस्पताल जाएं या अपने चिकित्सक से संपर्क करें। डॉ चौधरी ने बताया कि प्रचंड गर्मी अभी लगातार सताएगी। खूंटी जिले में अगले पांच दिनों तक तापमान 39 से 41 डिग्री के बीच रहने की उम्मीद है।
देसी फ्रीज की मांग बढ़ी –
प्रचंड गर्मी के कारण लोग ढंडा पानी के लिए देसी फ्रीज(मिट्टी का घड़ा) की जमकर खरीदारी कर रहे हैं। चढ़ते पारे और गर्मी के टूटते रिकॉर्ड के बीच ठंडा पानी और शीतल पेया के लिए मिट्टी के घड़ों के घड़ों के साथ ही फ्रीज और अन्य उपकरयों की खरीदारी कर रहे हैं।
हालांकि आजकल शहर हो देहात सभी जगह बिजली की सुविधा उपलब्ध है। इसके कारण लगभग सभी घरों में फ्रीज उपलब्ध है, लेकिन मिट्टी के घड़ों की माग कम नहीं हुई है। बाजार में उपलब्ध डिजायनदार सुराही और घड़े लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। तोरपा निवासी संतोष जायसवाल कहते हैं कि घर में फ्रीज है, लेकिन नये घड़े में रखा ठंडा पानी पीने का आनंद ही कुछ और है। उन्होंने कहा कि अब तो डॉक्टर भी फ्रीज के बदले घड़े का ठंडा पानी पीने की सलाह देते हैं।
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