लखनऊः फलों के राजा आम का मौसम आ गया है। बगीचा रखने वाले किसानों के लिए यह खुशखबरी है कि इस वर्ष मौसम आम के बेहतर उत्पादन के अनुकूल है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि फरवरी में शुरू हुई गर्मी के प्रभाव से आम के पेड़ों पर बौर अच्छी आने की संभावना बन रही है। उत्पादन अच्छा होने के संकेत हैं। जिन पेड़ों पर बौर नहीं आए हैं, उनके बागवानों को आम के लिए काम के इस मौसम में कुछ जरूरी छिड़काव कराने होंगे।
सल्फर का करें छिड़काव, सिंचाई से बचें
लखनऊ स्थित बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय की प्रो. दीपा द्विवेदी कहती हैं कि फरवरी के पहले सप्ताह से आम के पेड़ों में बौर आने लगते हैं। यह 15 मार्च तक पूर्ण रूप से आ जाते हैं। कुछ पेड़ों में बौर अच्छी प्रकार से निकल चुका है, लेकिन कुछ क्षेत्रों के बागानों में आम के बौर आने अभी बाकी हैं। ऐसे बागानों के स्वामियों को अपने बगानों में सल्फर पाउडर का छिड़काव करना चाहिए। दो ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना श्रेयस्कर है। इस समय आम के बागों की सिंचाई करने से बचाना चाहिए। कजह, इस समय पेड़ों को जितनी गर्मी मिलेगी उतने अच्छे तरीके से बौर निकलेंगे। सिंचाई करने से बौर निकलने की संभावना कम हो जाएगी। जिला उद्यान अधिकारी अरुण कुमार तिवारी ने बताया कि तेज गर्मी पड़ना आम के बौर के लिए जरूरी है। इससे फलों के उत्पादन में बढ़ोत्तरी भी होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। इधर, पुरवा हवा के चलते आर्द्रता बढ़ने पर आंधी-तूफान, बारिश होने पर बौर झड़ते हैं। फसल का नुकसान होता है। वर्तमान मौसम में इस तरह की आशंका अभी नहीं दिखती। पुरवा में ही कीट-पतंगों का भी ज्यादा प्रभाव होता है। तेज गर्मी में कीट लगने की आशंका कम ही रहती है।
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इस तरह करें उपचार
उद्यान वैज्ञानिक डा. एसपी सिंह ने बताया कि जिन पेड़ों में बौर के स्थान पर बौर का गुच्छा (गुम्मा रोग) बनना शुरू हो गया हो, किसान उसे काट कर कापर आक्सिक्लोराइड का पेस्ट लगा दें। बौर को गिरने से बचाने के लिए बोरेक्स चार ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर दो छिड़काव करें। बौर में सफेद पाउडर दिखाई देने पर कापर आक्सीक्लोराइड तीन ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। आम के पेड़ पर या बौर पर गुजिया कीट दिखाई दे तो क्यूनालफास एक मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। किसानों को कीटनाशकों का छिड़काव अल सुबह या देर शाम में ही करना चाहिए।
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