प्रयागराजः प्रदेश के बेसिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा महानिदेशक (डीजी) विजय किरन आनंद ने शिक्षा में व्यापक स्तर पर सुधार और पारदर्शिता लाने के लिए व्यापक स्तर पर तैयारियां शुरू कर दिया है। अब बेसिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा के करोड़ों छात्र-छात्राओं को ही नहीं बल्कि लाखों शिक्षक-शिक्षिकाओं को भी टेबलेट से ऑनलाइन हाजिरी लगानी होगी। वह कब स्कूल पहुंचे, प्रार्थना हुई, क्या शिक्षण हो रहा है, इतना ही नहीं क्या खाना बन रहा है और कब स्कूल बंद हो रहा है, स्मार्ट क्लासेज से पढ़ाई हो रही है या नहीं, इतना ही नही गुरुजी पढ़ाने स्वयं विद्यालय में आ रहे या ढाई हजार के मास्टर से पढ़वा रहे हैं, सहित अन्य पूरी डिटेल टेबलेट से मिनट टू मिनट डीजी कार्यालय के बने कार्यालय में देनी होगी। इससे विद्यालयों से गायब रहने वाले शिक्षक-शिक्षिकाओं को अब विद्यालय से भागने का मौका नहीं मिलेगा बल्कि उनको विद्यालयों में पूरे समय रहकर बच्चों को पढ़ाना होगा। इतना ही नहीं, बच्चों को बेहतर पढ़ाई के लिए विद्यालयों में स्मार्ट क्लासेज चलेगी। इसकी भी तैयारियां व्यापक स्तर पर शुरू हो गयी है, जो शीघ्र पूरी होने जा रही है।
प्रदेश के बेसिक शिक्षा एवं माध्यमिक शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनंद ने बताया कि बेसिक और माध्यमिक शिक्षा में टेबलेट से ऑनलाइन हाजिरी और पढ़ाई के लिए टेंडर हो गया है। पूरी सम्भावना है कि अगले माह से विद्यालयों में टेबलेट पहुंचने लगेगा और उसमें इस तरह से सॉफ्टवेयर फीड किया जा रहा है जिसका पूरा कंट्रोल महानिदेशक कार्यालय लखनऊ से होगा जिससे कि सभी विद्यालयों, बच्चों और शिक्षकों पर नजर रखी जा सके। उन्होंने बताया कि इस टेबलेट से पूरी डिटेल भरनी पड़ेगी। उन्होंने कहा इससे जहां एक तरफ जो शिक्षक विद्यालय से गायब रहते थे, उनकी उपस्थिति अनिवार्य हो जाएगी वहीं दूसरी तरफ बच्चों या शिक्षकों की गलत संख्या को भी नहीं भरा जा सकेगा या दिखाया जा सकेगा।
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उन्होंने कहा कि बेसिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा को और बेहतर बनाया जा रहा है। बेसिक शिक्षा के बाद माध्यमिक शिक्षकों का भी प्रशिक्षण शीघ्र शुरू होने जा रहा है। इससे शिक्षकों को मार्डन शिक्षण पद्धति की जानकारी होगी और उसका लाभ बच्चों को मिलेगा। उल्लेखनीय है कि शासन और बेसिक शिक्षा-माध्यमिक शिक्षा के महानिदेशक विजय किरन आनंद की सख्ती के बाद भी बड़ी संख्या में शिक्षक-शिक्षिकाएं जौनपुर, गाजीपुर, बलिया, आजमगढ़, देवरिया, सिद्धार्थ नगर, बागपत, बांदा, महोबा सहित अन्य जिलों में शिक्षण के लिये नही जा रहे हैं, बल्कि तीन से चार हजार रुपये में प्राइवेट लोगों को रखकर पढ़ाई करवा रहे हैं। इनमें पीसीएस, पीपीएस, आईएएस, आईपीएस, विधायक, सांसद और पूर्व मंत्री के 1500 से अधिक परिजन हैं जो कई वर्षो से विद्यालय पढ़ाने नहीं जा रहे हैं, जबकि यह लोग प्रति माह वेतन ले रहे हैं। शासन में सबसे ज्यादा शिकायत जौनपुर जिले की है, जहां के बीएसए और खण्ड शिक्षाधिकारी सुजानगंज की मिलीभगत से परिषदीय विद्यालयों के 200 शिक्षक कई वर्ष से पढ़ाने नहीं जा रहे हैं, बल्कि उनके स्थान पर प्राइवेट लोग पढ़ा रहे हैं।
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