नई दिल्लीः स्पेन की कम्पनी एयरबस डिफेंस एंड स्पेस से भारतीय वायु सेना के लिए 56 सी-295 ट्रांसपोर्ट विमानों का सौदा होने के बाद अब नौसेना और भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) के लिए 15 और एयरक्राफ्ट लेने की तैयारी में है। समुद्री सुरक्षा के लिहाज से यह विमान मल्टी-मोड रडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिक कैमरा और सोनोबॉय से लैस होंगे। 15 अतिरिक्त खरीदे जाने वाले सी-295 विमानों में 09 भारतीय नौसेना को और 06 आईसीजी के लिए होंगे।
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भारतीय वायु सेना के लिए वर्षों से लटके सी-295 ट्रांसपोर्ट सैन्य परिवहन विमान खरीदने का सौदा 24 सितम्बर को फाइनल हुआ था। इसी दिन रक्षा मंत्रालय और स्पेन की कंपनी एयरबस डिफेंस एंड स्पेस के बीच 21,935 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए गए थे। सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति ने 08 सितम्बर को भारतीय वायु सेना के लिए 56 ट्रांसपोर्ट विमानों की खरीद को मंजूरी दी थी। अनुबंध पर हस्ताक्षर होने के 48 माह के भीतर स्पेन की कम्पनी भारत को 16 विमानों की सीधे ‘फ्लाइंग मोड’ में आपूर्ति करेगी और दस वर्षों के भीतर टाटा कंसोर्टियम भारत में ही 40 विमानों का निर्माण करेगा।
रक्षा मंत्रालय अब नौसेना और तटरक्षक बल के लिए भी ऐसे 15 अन्य विमानों के अधिग्रहण की योजना बना रहा है। नौसेना के लिए नौ और तटरक्षक बल के लिए छह सी-295 विमानों को समुद्री सुरक्षा के लिहाज से संशोधित किया जाना है। इन विमानों को गहरे समुद्र में निगरानी मिशन के लिए कैमरे और सोनोबॉय, मल्टी-मोड राडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिक से लैस करने की योजना है। कंपनी भारत की समुद्री जरूरतों को पूरा करने के लिए शुरुआती कुछ विमानों को संशोधित करेगी। बाकी का निर्माण गुजरात के वडोदरा में टाटा-एयरबस सुविधा में किया जाएगा। डीआरडीओ इन विमानों को मध्यम दूरी के समुद्री टोही विमान के रूप में लैस करने के लिए समग्र परियोजना को क्रियान्वित करेगा।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि राजनाथ सिंह की अगुवाई वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद जल्द ही 15 समुद्री विमानों के लिए आवश्यकता की स्वीकृति (एओएन) जारी करेगी, जिसकी लागत लगभग 18,000 करोड़ रुपये हो सकती है। दरअसल, नौसेना और तटरक्षक को नए टोही विमानों की तलाश है, ताकि पारंपरिक और आतंकी खतरों का समय पर पता लगाने के लिए हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में अधिक प्रभावी ढंग से गश्त की जा सके। फिलहाल नौसेना के पास वर्तमान में 12 पी-8आई विमान हैं, जो लंबी दूरी के टोही मिशनों के लिए अमेरिका से 3.2 बिलियन डॉलर में खरीदे गए हैं। रडार और सेंसर के साथ-साथ हार्पून ब्लॉक-II मिसाइल से लैस यह विमान मुख्य रूप से दुश्मन पनडुब्बियों का शिकार करने के लिए हैं।
नौसेना का टोही विमान पी-8आई अमेरिकी फर्म जनरल एटॉमिक्स से लीज पर लिए गए दो निहत्थे सी गार्जियन ड्रोन के साथ त्रि-स्तरीय समुद्री निगरानी ग्रिड की सबसे बाहरी परत पर गश्त करता है। अब लिए जाने वाले 15 सी-295 विमानों की उड़ान क्षमता 11 घंटे तक है, जिनका उपयोग डोर्नियर-228 बेड़े के साथ आईओआर में मध्यम दूरी के मिशन के लिए किया जाएगा। भारत का समुद्री रणनीतिक क्षेत्र फारस की खाड़ी से लेकर मलक्का जलडमरूमध्य तक फैला हुआ है। भारत के पास खतरों से बचाव के लिए 5,422 किलोमीटर की विशाल तटरेखा, 1,197 द्वीप और 20 लाख वर्ग किलोमीटर का ईईजेड भी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने टाटा-एयरबस प्लांट की आधारशिला वडोदरा में 30 अक्टूबर को रखी थी। सितंबर, 2023 से अगस्त, 2025 के बीच एयरबस कंपनी पहले 16 सी-295 विमानों की आपूर्ति ‘फ्लाइंग मोड’ में करेगी। वडोदरा प्लांट में तैयार होकर पहला ‘मेड इन इंडिया’ सी-295 विमान सितंबर, 2026 में मिलेगा। 56 विमानों को 2023-2031 समय सीमा के बीच वायु सेना के परिवहन बेड़े में शामिल किया जाना है, जो चीन के साथ सीमा पर भारतीय वायुसेना की सामरिक हवाई क्षमता को बढ़ाएंगे। दशकों से रक्षा क्षेत्र की पीएसयू हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स का एकाधिकार तोड़ते हुए यह पहली बार है जब भारत में निजी क्षेत्र की कंपनी सैन्य विमान का निर्माण करेगी।
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