नई दिल्ली: पंजाब में सिख समुदाय के जरिए ईसाई धर्म में जाने का मामला लगातार बढ़ता जा रहा है। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने पंजाब में सिखों के जबरन धर्म परिवर्तन के आरोपों के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए आज सिख और ईसाई, दोनों समुदायों के प्रतिनिधियों की एक बैठक बुलाई। दोनों समुदायों के प्रतिनिधियों ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की इस पहल का स्वागत किया है।
समस्या के सौहार्दपूर्ण और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान के लिए दोनों समुदायों के बीच बातचीत शुरू करना एक अच्छी पहल के रूप में देखा जा रहा है। दोनों अल्पसंख्यक समुदाय के बीच होने वाले विस्तृत विचार-विमर्श और विचारों के आदान-प्रदान के बाद यह निष्कर्ष निकला कि दोनों पक्षों ने एक संवेदनशील मामले पर बातचीत के लिए अल्पसंख्यक आयोग की सराहना की और बातचीत को आगे जारी रखने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
बैठक के बारे में जानकारी देते हुए आयोग के अध्यक्ष सरदार इकबाल सिंह लालपुरा ने बताया कि सिख प्रतिनिधियों का विचार था कि चूंकि पंजाब में आरोप और घटनाएं उच्चतम स्तर पर चिंता का विषय बन गई हैं। इस ज्वलंत समस्या की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए और इसे तत्काल प्रभाव से हल किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि अपनी ओर से चर्च संगठनों के प्रतिनिधियों ने दोहराया कि वे कपटपूर्ण साधनों या चमत्कारी उपचार, नकद प्रोत्साहन के प्रलोभन आदि के झूठे वादों के माध्यम से किसी भी तरह के जबरन धर्मांतरण के खिलाफ हैं और वे इस तरह के कृत्यों की निंदा करते हैं।
यह भी पढ़ेंः-बाड़मेरः आसमान में मंडराते दो हेलीकॉप्टरों से मचा हड़कंप, दहशत में…
बैठक में दोनों समुदायों के प्रतिनिधियों ने सहमति व्यक्त की कि इस मुद्दे पर आगे भी बातचीत जारी रहेगी। अगली बैठक पंजाब या दिल्ली में आयोजित की जा सकती है जिसमें पंजाब के सभी जत्थेदारों, श्री अकाल तख्त के जिम्मेदारों और बिशपों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जा सकता है।
अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक औरट्विटरपर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…