Wednesday, December 18, 2024
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Homeउत्तर प्रदेशUP: चुनौतियों से भरा होगा नए 'परिवहन' मंत्री का सफर

UP: चुनौतियों से भरा होगा नए ‘परिवहन’ मंत्री का सफर

Uttar Pradesh Parivahan Nigam

लखनऊः सूबे में योगी-2 सरकार के मंत्रिमंडल गठन और मंत्रियों के विभागीय बंटवारे के बाद अब आगामी कार्ययोजनाओं पर तेजी से काम हो रहा है, वहीं परिवहन विभाग व परिवहन निगम (Uttar Pradesh Parivahan Nigam) के नए मुखिया बने दयाशंकर सिंह के सामने दोनों विभागों की कई चुनौतियां होंगी। इनमें सड़क दुर्घटनाओं पर लगाम लगाने, संभागीय परिवहन कार्यालयों पर लगी दलाल शब्द की कालिख को मिटाने के साथ परिवहन निगम के बस बेड़े में नई बसों को शामिल करने की चुनौती प्रमुख है।

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दयाशंकर सिंह के लिए परिवहन मुखिया का सफर आसान नहीं होगा, इसकी वजह यह है कि कोरोना संक्रमण काल के दौरान परिवहन निगम और परिवहन विभाग (Uttar Pradesh Parivahan Nigam) जैसे महत्वपूर्ण विभागों की व्यवस्थाएं पटरी से उतर गईं हैं। अब इन विभागों की व्यवस्थाओं को पटरी पर लाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। अब यह देखने वाली बात होगी कि परिवहन के नए मुखिया इन चुनौतियों से किस प्रकार निपटते हैं। इस बाबत परिवहन आयुक्त धीरज साहू का कहना है कि दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। यातायात नियम के प्रति लोगों को जागरुक किया जा रहा है। नियमों की अनदेखी करने वालों पर चालान की कार्रवाई की जा रही है। वहीं रोडवेज के प्रबंध निदेशक आर. पी. सिंह का कहना है कि परिवहन निगम में नई बसों की खरीद के साथ कई सुधार कार्य किए जा रहे हैं, जल्द ही इन कार्यों में और तेजी लाई जाएगी। सभी कमियों को एक-एक कर दूर किया जा रहा है।

परिवहन मंत्री के इंतजार में कर्मचारी

मुख्य सचिव उप्र शासन दुर्गाशंकर मिश्रा के निर्देश पर सभी विभागों के प्रमुख सचिव विभागीय निरीक्षण कर रहे हैं। इस क्रम में प्रमुख सचिव परिवहन राजेश कुमार सिंह ने भी गुरूवार 1 अगस्त को परिवहन निगम मुख्यालय का निरीक्षण किया और सुधार के आवश्यक निर्देश दिए। हालांकि, परिवहन विभाग व परिवहन निगम मुख्यालय के कर्मियों को अभी भी परिवहन के नए मुखिया का इंतजार है। दोनों विभागों के कर्मियों में नए परिवहन मंत्री के आने की उत्सुकता साफ देखी जा सकती है। कार्यालय में कर्मी गाहे-बगाहे इसकी चर्चा भी करते नजर आ रहे हैं कि नए परिवहन मंत्री कब मुखातिब होंगे।

परिवहन विभाग की होंगी ये चुनौतियां

सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाना- सूबे में हर माह 1500 से अधिक लोगों की दुर्घटना में मौत हो रही है।
सड़क सुरक्षा प्रकोष्ठ में अपर परिवहन आयुक्त की तैनाती- अपर परिवहन आयुक्त गंगाफल के बीते वर्ष सेवानिवृत्त होने के बाद से यह पद खाली चल रहा है।

फिटनेस व ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर- जनपदों में फिटनेस सेंटर और ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर बनाए जाने का काम पूरा किया जाना है, ताकि हादसों पर अंकुश लगाया जा सके।

लाइलाज दलाली- प्रदेश के सभी आरटीओ और एआरटीओ कार्यालय के बाहर बगैर दलालों के कोई काम नहीं हो रहा है। इस पर अंकुश लगाना आवश्यक है।

यूपीएसआरटीसी की चुनौतियां

पीपीपी मॉडल बस अड्डे– प्रदेश में पीपीपी मॉडल पर 26 बस अड्डों का निर्माण होना है। हालांकि, अभी 17 बस अड्डों के निर्माण के लिए निवेशक ढूंढने की कवायद की जा रही है। पिछली सरकार में निवेशक नहीं मिले थे, अब एक बार फिर से निवेशक तलाशने होंगे। इन बस अड्डों को बनाए जाने की घोषणा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछली सरकार में की थी।

साधारण और वातानुकूलित बसों का बेड़ा बढ़ाना– यूपी रोडवेज बस बेड़े में शामिल 40 प्रतिशत बसें खस्ताहाल है, जिन्हें नई बसें लाकर रिप्लेस करने की जरूरत है। इसके साथ ही रोडवेज बस बेड़े में वॉल्वो, स्कैनिया समेत अन्य वातानुकूलित बसों की कमी को पूरा करना होगा। बेड़े में नई साधारण बसों को भी शामिल किया जाना जरूरी है।

बसों का मेंटीनेंस– बसों के मेंटीनेंस की व्यवस्था बदहाल है। वर्कशॉप में न तो जरूरी उपकरण हैं और न ही कुशल मैकेनिक। कोरोनाकाल के बाद इनकी कमी और बढ़ गई है। वर्कशॉप कर्मियों को मिल रहे मामूली मानदेय में वृद्धि भी करने की चुनौती है।

ऑनलाइन सिस्टम– बसों के टिकट बुकिंग के साथ ही अन्य व्यवस्थाओं को भी ऑनलाइन सिस्टम के जरिए जोड़ा जाना चाहिए। इससे चालक-परिचालक पर नजर रखी जा सकती है। इसके साथ ही यात्री सुविधाओं में भी इजाफा करना होगा।

खाली पदों पर भर्ती– परिवहन निगम में मुख्य प्रधान प्रबंधक संचालन से लेकर प्रधान प्रबंधक, क्षेत्रीय प्रबंधक तक के पद खाली पड़े हैं। इसके साथ ही नीचे के लेवल पर भी बड़े पैमाने पर पद रिक्त पड़े हैं। इन पदों पर भर्ती किया जाना आवश्यक है।

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