देहरादूनः उत्तराखंड में नई सरकार का गठन होने के बाद अब विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए कवायद शुरू हो गई है। भाजपा विधायक ऋतु खंडूरी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और कैबिनेट के तमाम सहयोगियों की मौजूदगी में विधानसभा अध्यक्ष के लिए नामांकन पर्चा भरा। वहीं, विपक्षी दल कांग्रेस की ओर से कोई भी प्रतिनिधि नामांकन भरने के लिए विधानसभा नहीं आया, ऐसे में ऋतु खंडूरी निर्विरोध विधानसभा अध्यक्ष चुनी जाएंगी और प्रदेश की पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष बन जाएंगी। उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से विधानसभा अध्यक्ष के पद पर पुरुष ही काबिज रहे हैं। लिहाजा, पहली बार उत्तराखंड के इतिहास में ऐसा होने जा रहा है, जब विधानसभा अध्यक्ष पद संभालने की जिम्मेदारी किसी महिला को मिलेगी।
विधानसभा में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, प्रदेश अध्यक्ष, सभी कैबिनेट मंत्री और ऋतु खंडूरी समेत तमाम अधिकारी पहुंचे। इसके बाद रितु खंडूरी ने विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किया। कोटद्वार से भाजपा विधायक ऋतु खंडूरी के नामांकन के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर धामी, कैबिनेट मंत्रियों प्रेमचंद अग्रवाल, सुबोध उनियाल, रेखा आर्य सहित कई विधायक मौजूद थे। उन्होंने विधानसभा सचिव के कार्यालय में नामांकन प्रक्रिया पूरी की। नामांकन की तिथि 24 व 25 मार्च रखी गई है, जबकि 26 मार्च को सदन में विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए निर्वाचन किया जाएगा। इस दौरान मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों और विधायकों ने ऋतु खंडूडी भूषण को बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। नामांकन के दौरान प्रस्तावक में खजान दास, मुन्ना सिंह चौहान, सरिता आर्या, दुर्गेश लाल, चंदन राम दास, प्रमोद नैनवाल, सविता कपूर, उमेश शर्मा, विनोद कंडारी, महेश जीना, भरत चौधरी, भोपाल राम टम्टा, बिशन सिंह चुफाल, सतपाल महाराज, मदन कौशिक, कैलाश चंद्र गहतोडी मौजूद थे।
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समर्थक में सुरेश गढ़िया, बृज भूषण गैरोला, राम सिंह केड़ा, शैला रानी, सुरेश चौहान, मोहन सिंह बिष्ट, शक्ति लाल, रेणु बिष्ट, शिव अरोड़ा, अनिल नौटियाल, सौरभ बहुगुणा, रेखा आर्य, सुबोध उनियाल और दीवान सिंह बिष्ट मौजूद थे। नामांकन भरने के बाद ऋतु खंडूड़ी भूषण ने केंद्रीय नेतृत्व का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें खुशी है कि उत्तराखंड राज्य में महिलाओं के सम्मान करते हुए विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए उन्हें प्रत्याशी बनाया गया। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद वह प्रदेश की जनता की अपेक्षाओं एवं आकांक्षाओं के अनुरूप कार्य करेंगी। साथ ही सदन की संसदीय परंपराओं के निर्वहन के लिए प्रतिबद्ध रहेंगी। उन्होंने कहा कि वह दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करेंगी। साथ ही पद की गरिमा का पालन करेंगी।
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